
आगरा शहर को स्मार्ट सिटी बनाये जाने के लिए केंद्र सरकार ने दूसरे चरण में आगरा का चयन कर लिया था। नौ जनवरी 2017 को चयन होने के बाद स्मार्ट सिटी प्रा.लि. का गठन किया गया। गठन के आठ माह बाद 14 सितंबर को कम्पनी बमुश्किल काम शुरू कर पायी। 13 प्रोजेक्ट्स की अब तक 393 करोड़ रूपये की डीपीआर बनी है और इसी की कागजी खानापूर्ति में अधिकारी की रूचि इस प्रोजेक्ट में नहीं दिखायी दे रही है जिसकी रिपोर्ट मिलने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी व्यक्त की, उसके बाद अब कार्यवाही की तैयारियां चल रही हैं।
फतेहाबाद रोड के सुंदरीकरण का कार्य हो या फिर स्ट्रीट वेंडिंग जोन का, डक्ट निर्माण हो अथवा स्मार्ट सिटी का अन्य कोई कार्य, इन सभी कार्यों से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाखुश हैं। प्रोजेक्ट की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताई है। आगरा को एक हजार करोड़ रूपये स्मार्ट तरीके से विकसित किया जा रहा है।
यह कार्य पांच साल में पूरा होगा। शुरूआत से ही डीपीआर बनाने में लापरवाही बरती गयी। निर्धारित अवधि के भीतर 60 फीसद कार्य नहीं हुए। निर्माण से संबंधित कई कार्य बिना एनओसी के चालू हो गये, इसके चलते एएसआइ, वन विभाग, छावनी परिषद ने कार्यों को रूकवा दिया। एनओसी मिलने में दो से चार माह समय लगा, तब जाकर दोबारा कार्य शुरू हुए, यहां तक फतेहाबाद रोड पर बिना चैंबर की डिजाइन के डक्ट का निर्माण शुरू हो गया। नगर विकास विभाग के सचिव संजय कुमार ने तीन दिनों के भीतर लापरवाह अफसरों और कर्मचारियों के नाम मांगे हैं, इनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।