आगरा नगर निगम की सच्चाई राज्य सरकार के अधिकारियों ने देख ली है। जनशिकायतें दूर करने में नगर निगम पूरी तरह फेल साबित हुआ है। अब तीन दिन में शासन ने नगर निगम के अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब किया है। जन शिकायतें दूर करने की बजाय नगर निगमों के अफसरशाही हावी हो गयी है, वातानुकूलित कक्षों में बैठकर कागजी घोड़े दौड़ाते अधिकारियों की वजह से कर्मचारी बेलगाम हैं, कोई सुनवाई शिकायतों की नहीं हो रही।
शहरी नागरिकों को समस्याओं से निजात दिलाने के लिए शुरू की गयी ‘पब्लिक ग्रिवांस सिस्टम‘ को लागू करने में प्रदेश के 12 नगर निगम फेल साबित हुए हैं, इनमें आगरा नगर निगम भी शामिल है। स्थानीय निकाय निदेशक डॉ. काजल ने गुरूवार को संबंधित नगर आयुक्तों से जवाब-तलब करते हुए तीन दिन में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
राज्य सरकार शहरों को साफ-सुथरा बनाने के साथ लोगों को अच्छी सुविधाएं देना चाहती है, इसके लिए नगर निगमों में ‘पब्लिक ग्रिवांस सिस्टम‘ तैयार किया गया है इसके तहत ऑनलाइन शिकायत और निस्तारण की व्यवस्था की गयी है, इसमें सीवर, सफाई, जलभराव, नाली चोक, जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइट या फिर जनता से जुड़ी समस्या के साथ पार्कों की दुर्दशा ठीक कराने के लिए होने वाली शिकायतें शामिल हैं। नगर निगमों को तय समय में शिकायतों को दूर करने के निर्देश दिये हैं, इसकी समीक्षा में स्थानीय निकाय निदेशालय ने पाया है कि निगम इसमें लापरवाही बरत रहे हैं शिकायतों के बाद भी तय समय में समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
स्थानीय निकाय निदेशक आगरा, अलीगढ़, लखनऊ, वाराणसी, झांसी, सहारनपुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, गोरखपुर, बरेली, गाजियाबाद और कानपुर के नगर आयुक्तों से शिकायतों का तय समय में निस्तारण न होने पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है निकाय निदेशक ने सभी नगर आयुक्तों से तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है।