
उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राजीव कपूर शुक्रवार से विश्वविद्यालय में अपीलों की सुनवाई कर रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में लम्बित अपीलों की सुनवाई उनके द्वारा की गयी है जो शनिवार को भी देर शाम तक जारी थी।
छात्र-छात्राओं को जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचनाएं न मिलने पर राज्य सूचना आयोग के समक्ष विश्वविद्यालय के विरूद्ध अपीलों का अंबार कई वर्षों से लगा हुआ था जिसका निस्तारण समुचित संतोषजनक जबाब न मिलने के कारण नहीं हो पा रहा था। राज्य सूचना आयोग लखनऊ तक चक्कर काटने के बाद अपीलार्थी परेशान होते थे, इसके लिए राज्य सूचना आयोग ने विश्वविद्यालय में ही पहुंचकर अपीलों का निस्तारण शुरू कर दिया है।
राज्य सूचना आयुक्त राजीव कपूर ने शुक्रवार व शनिवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के जुबली हाल में विश्वविद्यालय में लंबित सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के लंबित प्रकरणों की सुनवाई की। सुबह से देर शाम तक डटे, एक-एक फाइलें देखीं।
सुनवाई में अधिकतर मामले मार्कशीट और डिग्री से जुड़े रहे। विश्वविद्यालय का वर्षों से चक्कर काटने के बाद भी छात्र-छात्राओं को मार्कशीट नहीं मिली पायी। आरटीआई के तहत पूछा गया तो भी कारण नहीं बताया गया। सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष जवाब दिया गया। विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है कि राज्य सूचना आयुक्त ने विश्वविद्यालय परिसर में पहुंच कर लंबित प्रकरणों की सुनवाई की।
विश्वविद्यालय की ओर से उपलब्ध कराये गये कई जवाब संतोषजनक नहीं पाये गये। कुछ सूचनाएं लंबित होने के पीछे जो कारण बताया गया वह भी ठीक नहीं लगा, इस पर राज्य सूचना आयुक्त कुछ नाराज भी हुए, उन्होंने कार्यालयों के स्टाफ को समझाया भी कि सूचनाएं किस तरह से बनायी जानी चाहिए थीं। आयुक्त ने एक-एक फाइल को देखा, 130 में से अधिक लोग पहुंचे, 91 मामलों का निस्तारण किया, शनिवार को भी 133 मामलों की सुनवाई हुयी।
यहां 263 मामले लंबित थे। सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव केएन सिंह, शिक्षण स्टाफ से डॉ. बीडी शुक्ला, राजीव वर्मा, डॉ. राजेश कुशवाह, प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव मौजूद रहे। वहीं विभिन्न विभागों का स्टाफ भी मौजूद रहा।