
गोशालाएं छोटी पड़ने लगी हैं इन हालात में गाय सड़क पर ही रहेगी सिकंदरा की कान्हा गोशाला भी हाउसफुल हो चुका है, जबकि सांड़ों के लिए कुक्कड़ केंद्र में बनाये गये आश्रय स्थल में सांड़ों के साथ्ज्ञ अब गायों को भी भेजा जा रहा है। चारे और पानी की समस्या के कारण गोवंश आये दिन दम तोड़ रहे हैं।
शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक घुमंतू पशु समस्या बने हुए हैं। गेहूं की फसल कटने के बाद ग्रामीण इलाकों में चारे का संकट हो रहा, ऐसे में गोवंश शहर की ओर पहुंच रहे हैं। शहर में कालोनियों से लेकर बस्तियों तक गोवंश सड़कों पर डेरा जमाए रहते हैं। नगर निगम की टीमें भी यदाकदा शहर से गोवंश को पकड़कर सिकंदरा गोशाला में छोड़ आती हैं। पशुपालन विभाग ने बाईंपुर में गो आश्रय स्थल और कान्हा गोशाला बनवायी थीं। गो आश्रय स्थल में 908 सांड़ हैं, अब दो दर्जन के करीब गायें भी यहां भेज दी गयी हैं।
सांड़ अकसर हमला कर गायों को घायल कर देते हैं। इसी कारण पशुपालन विभाग ने बाईंपुर में कान्हा गोशाला बनवायी थी, जिसमें 195 गाय और बछड़े हैं, लेकिन क्षमता ज्यादा नहीं है, पास में पड़े खाली स्थान पर अब और नांद बनवायी जा रही हैं ताकि गोवंश को यहां रखा जा सके। पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब ग्रामीण अंचल से बहुत कम ही गोवंश आ पा रहे हैं। पशुपालन विभाग के पास अपनी कोई गाड़ी नहीं है।
बाईंपुर गोशालाओं में शहर के ही घुमंतू पशुओं को लाया जा रहा है, इनके चारे की व्यवस्था भी एक समस्या बनी हुयी है। आश्रय स्थल, गोशालाओं में बड़ी संख्या में घुमंतू गोवंश को कैद करने के बाद भी सड़कों पर गोवंश लोगों के लिए जानलेवा बने हुए हैं। सोमवार को मध्य प्रदेश से आगरा शादी का कार्ड बांटने आये रमेश श्रीवास्तव (60) व उनके बेटे रामू (26) को आगरा के भदरौली में गोवंश बचाने के प्रयास में उनकी बाइक खंभे से टकरा गयी, जिससे दोनों पिता पुत्र की मौत हो गयी। इससे पहले भी लगातार सड़कों पर घूमते गोवंशों की चपेट में आकर दुर्घटनाएं हो रही हैं, दर्जनों लोगों की जानें जा चुकी हैं।