कांग्रेस पार्टी की लोकसभा चुनावों में करारी हार से सदमे में आयी पार्टी ने एक माह के लिए पार्टी प्रवक्ताओं को चुप कर दिया है। अब कोई भी कांग्रेसी प्रवक्ता टीवी, न्यूज चैनलों पर किसी तरह की बहस में शामिल नहीं होगा और न ही पार्टी की तरफ से वक्तव्य जारी करेगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे का नाटक चल रहा है, पार्टी की हार के कारणों पर समीक्षा कर पार्टी को संभालने के मौके पर कांग्रेस पार्टी के नेता हार के गमगीन माहौल में सिर्फ राहुल गांधी के मान-मनोब्बल में जुटी हुयी है।
इसी दौरान पार्टी में मणिपुर के कांग्रेस के 12 विधायकों का इस्तीफा दे दिया है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, कनार्टक की सरकारें पहले से ही डाबाडोल हो रही है। इन स्थितियों को संभालने की बजाय राहुल के इस्तीफे के खेल पर सहानुभूति बटोरने की मुहिम में पूरी कांग्रेस जुटी हुयी है।
राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में नेतृत्व संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है। इस बीच पार्टी ने एक महीने तक टीवी चैनलों पर होने वाली बहसों में अपने प्रवक्ताओं को नहीं भेजने का फैसला किया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह कदम न्यूज चैनलों पर होने वाली बहस में राहुल के इस्तीफे और नेतृत्व की अनिश्चितता को लेकर पूछे जाने वाले सवालों से बचने के लिए उठाया गया है। कांग्रेस अकसर मीडिया पर मोदी के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाती रही है। सूत्र बहसनों में शामिल नहीं होने की यह भी वजह बता रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक महीने तक अपने प्रवक्ताओं को टीवी बहसों में नहीं भेजने का फैसला लिया है, सभी मीडिया चैनलों और संपादकों से अनुरोध है कि वे अपने कार्यक्रम में कांग्रेस प्रतिनिधियों को नहीं बुलाएं।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन और कांग्रेस को महज 52 सीटें मिलने के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अध्यक्ष पद से त्यागपत्र पर अड़े हुए हैं। सियासी उथल-पुथल के बीच कांग्रेस शासित राज्य सरकारों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
मणिपुर में कांग्रेस के एक दर्जन विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस समिति में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है, इससे उनके भाजपा में जाने की अटकलें तेज हो गयी हैं, हालांकि उन विधायकों ने इस संभावना से इनकार किया है। विधायकों ने लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद अपने इस्तीफे दिये हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस को राज्य की दोनों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा है।
भाजपा में जाने की अटकलों के बीच विधायकों का कहना है कि संगठन को मजबूर करने के लिए उन लोगों ने इस्तीफा दिया है। प्रदेश कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि विधायकों ने बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष गाईखांगम को अपने इस्तीफ सौंपे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 29 सीटें मिली थीं, लेकिन बीते साल उसके आठ विधायक भाजपा में शामिल हो गये थे।