गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह राष्ट्रवादी एजेंडे को सुलझाने में जितना कामयाब हो पायेंगे वह उनके उतने ही कद को निखारेगा। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35ए., धारा 370, नागरिकता संशोधन बिल, राम मंदिर, कश्मीरी पंडितों की घर वापसी यही मुद्दे पांच साल में अमित शाह के कद और को निखारेंगे। चुनावों में पार्टी अध्यक्ष के नाते उन्होंने इन मुद्दों पर बड़े बड़े वायदे जनता के बीच किये हैं और अब इन वायदों को पूरा करने के लिए उन्हें किसी दूसरे की तरफ नहीं देखना है, अब उनकी स्वंय जिम्मेदारी हो गयी है कि जो वायदा उन्होंने चुनावों के दौरान जनता से किया है उसे किस ढंग से पूरा करेंगे।
आज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह नॉर्थ ब्लॉक पहुंचे और गृह मंत्रालय में अपना कामकाज संभाला. इस मौके पर जी किशन रेड्डी और नित्यानंद राय मौजूद रहे।
शाह पर सरकार के राष्ट्रवाद से जुड़े एजेंडे को अमलीजामा पहनने की जिम्मेदारी है, अगर शाह राष्ट्रवादी मुद्दे, अनुच्छेद 35ए., अनुच्छेद 370, नागरिकता संशोधन बिल, राम मंदिर और कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की गुत्थी सुलझा पाये तो सियासी क्षितिज पर उनका छा जाना तय है। उपरोक्त सभी एजेंडे सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में शामिल हैं।
दरअसल, शाह संगठन में अपनी अमिट छाप छोड़ने के बाद अपनी प्रशासनिक क्षमता साबित करना चाहते थे, यही कारण है कि सरकार में शामिल होने की स्थिति में उनकी पहली पसंद गृह मंत्रालय था, चूंकि राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दे पर पार्टी और सरकार ने बड़े-बड़े वादे किये हैं। ऐसे में इस दूसरे कार्यकाल में इन मुद्दों की सियासी अहमियत बेहद बढ़ गयी है, हालांकि इन मुद्दों को अमलीजामा पहनाने के लिए शाह को राज्यसभा में बहुमत के इंतजार के साथ सहयोगी दलों को भी राजी करना होगा। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल, अनुच्छेद 35ए. और अनुच्छेद 370 पर पार्टी के सहयोगी दलों का रूख भाजपा से अलग है।
शाह अपने इस अभियान की शुरूआत कश्मीरी पंडितों की कश्मीर में वापसी से कर सकते हैं। पहले कार्यकाल में इस संबंध में सरकार महज रूपरेखा ही तैयार कर पायी थी, इसके साथ ही शाह अनुच्छेद 35ए. को सुलझाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।