देश के तमाम राज्यों से श्रद्धालुओं से हर की पैड़ी समेत गंगा के तमाम घाट पटे रहे। कहीं तिल रखने को भी जगह नहीं थी। तीन डुबकी लगाने का भी किसी को मौका नहीं मिला। एक डुबकी के बाद ही स्वयंसेवी और पुलिस कर्मियों ने श्रद्धालुओं को गंगा से बाहर निकाल लिया। हर की पैड़ी पर तो आलम यह था कि श्रद्धालुओं के केवल सिर ही सिर नजर आ रहे थे।
सोमवती अमावस्या पर करीब 40 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई
सोमवती अमावस्या पर स्नान के लिए सबसे अधिक भीड़ पंजाब, राजस्थान, जम्मू और उत्तर प्रदेश से पहुंची। दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट आदि तमाम प्रांतों से स्नानार्थियों का तांता दिनभर लगा रहा। दक्षिण भारत से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
उगते सूर्य को अर्ध्य देने वालों को स्थान न होने से निराशा ही हाथ लगी। बाजारों में भीड़ की वजह से अव्यवस्थाओं का आलम रहा। अमावस्या के दिन बड़, पीपल और स्नान से जुड़े तीन मुख्य पर्व थे। नारायणी शिला पर श्राद्ध के लिए जाने वाले हजारों यात्री यातायात प्रबंधों के कारण पहुंच ही नहीं पाए। न ही कर्मकांड और पितृ शांति कराने वाला कोई पंडित नजर आ रहा था।