आगरा में स्मार्ट सिटी परियोजना आगरा के अधिकारियों ने तीन साल से पूरी तरह से अटका रखी है। बार-बार मुख्यमंत्री की नाराजगी व्यक्त करने के बावजूद भी सिर्फ कागजी खानापूर्ति तक अधिकारी अटके हुए हैं। आगरा को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए 313 करोड़ रूपये दिये गये थे, लेकिन स्थिति तीन साल बाद भी जस की तस है। आगरा के कमिश्नर को शासन ने लताड़ लगायी है और चेतावनी दी है कि कार्यवाही शिथिलता बरतने पर की जा सकती है। स्मार्ट सिटी बनाये जाने वाले शहरों में एक हजार करोड़ रूपया खर्च किया जाना है, लेकिन तीन साल बीतने के बावजूद भी अभी तक कमेटियां तक गठित नहीं की गयी हैं।
केंद्र सरकार ने यूपी के 10 शहरों को भले ही स्मार्ट सिटी बनाने के लिए पैसा दिया हो पर वाराणसी को छोड़कर अन्य शहरों के मंडलायुक्त इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है, उनकी नाराजगी के बाद मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने संबंधित मंडलायुक्त को कड़ा पत्र भेजा है।
स्मार्ट सिटी में आगरा शहर का चयन तीन साल पहले यानी सितंबर 2016 में हुआ था। स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए 313 करोड़ रूपये दिये गये, लेकिन अभी तक मात्र 90.05 करोड़ रूपये ही खर्च हो पाये हैं। टेंडर के बाद भी मौके पर काम ठीक से नहीं हुआ। पूर्व में भी स्मार्ट सिटी से जुड़े कई अधिकारी यहां से हटाये जा चुके हैं। दरअसल, स्मार्ट सिटी का काम मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल है, उसके बाद भी मंडलायुक्त स्तर से इन कामों में बरती जा रही लापरवाही से सीएम नाराज हैं, उन्होंने प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश हैं कि सभी मंडलायुक्तों को इस नाराजगी से अवगत करा दिया जाये, समय रहते कामों में तेजी नहीं लायी गयी तो उन्हें हटाया भी जा सकता है, इसको लेकर मुख्य सचिव ने कड़ा पत्र लिखकर उन्हें मुख्यमंत्री की मंशा से अवगत करा दिया है।
स्मार्ट सिटी में मंडलायुक्तों को चेयरमैन बनाया गया है, इनके निर्देश पर ही पैसा खर्च हो सकता है। स्मार्ट सिटी बनाये जाने वाले शहर पर 1000 करोड़ रूपये खर्च किये जाने हैं, इसका कुछ हिस्सा स्मार्ट के लिए चयनित शहरों को भेजा जा चुका है। वाराणसी छोड़कर सभी नौ शहर ऐसे हैं, जिनकी स्थिति काफी खराब है, पैसा मिलने के बाद भी काम नहीं कराया जा रहा है। टेंडर लेने में रूचि नहीं ली जा रही है। कई शहरों के मंडलायुक्त तो ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक कमेटियां तक गठित नहीं की है, सबसे खराब स्थिति लखनऊ की पायी गयी है।
केंद्र सरकार ने यूपी के 10 शहरों को भले ही स्मार्ट सिटी बनाने के लिए पैसा दिया हो पर वाराणसी को छोड़कर अन्य शहरों के मंडलायुक्त इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है, उनकी नाराजगी के बाद मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने संबंधित मंडलायुक्त को कड़ा पत्र भेजा है।
स्मार्ट सिटी में आगरा शहर का चयन तीन साल पहले यानी सितंबर 2016 में हुआ था। स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए 313 करोड़ रूपये दिये गये, लेकिन अभी तक मात्र 90.05 करोड़ रूपये ही खर्च हो पाये हैं। टेंडर के बाद भी मौके पर काम ठीक से नहीं हुआ। पूर्व में भी स्मार्ट सिटी से जुड़े कई अधिकारी यहां से हटाये जा चुके हैं। दरअसल, स्मार्ट सिटी का काम मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल है, उसके बाद भी मंडलायुक्त स्तर से इन कामों में बरती जा रही लापरवाही से सीएम नाराज हैं, उन्होंने प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश हैं कि सभी मंडलायुक्तों को इस नाराजगी से अवगत करा दिया जाये, समय रहते कामों में तेजी नहीं लायी गयी तो उन्हें हटाया भी जा सकता है, इसको लेकर मुख्य सचिव ने कड़ा पत्र लिखकर उन्हें मुख्यमंत्री की मंशा से अवगत करा दिया है।
स्मार्ट सिटी में मंडलायुक्तों को चेयरमैन बनाया गया है, इनके निर्देश पर ही पैसा खर्च हो सकता है। स्मार्ट सिटी बनाये जाने वाले शहर पर 1000 करोड़ रूपये खर्च किये जाने हैं, इसका कुछ हिस्सा स्मार्ट के लिए चयनित शहरों को भेजा जा चुका है। वाराणसी छोड़कर सभी नौ शहर ऐसे हैं, जिनकी स्थिति काफी खराब है, पैसा मिलने के बाद भी काम नहीं कराया जा रहा है। टेंडर लेने में रूचि नहीं ली जा रही है। कई शहरों के मंडलायुक्त तो ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक कमेटियां तक गठित नहीं की है, सबसे खराब स्थिति लखनऊ की पायी गयी है।
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