

मेजर की पत्नी और उनकी बेटी मंगलवार सुबह अपने घर पहुंचीं। इससे पहले शहीद मेजर की पत्नी ईरा दिल्ली स्थित अपने मायके में थीं। उन्हें भी रात में ही अपने पति के शहीद होने का समाचार मिला था। लेकिन उनके परिजनों ने रात में मेरठ नहीं आने दिया। आज सुबह वह अपने अपने परिजनों के साथ मेरठ कंकरखेड़ा स्थित अपनी ससुराल पहुंची। ससुराल पहुंचने पर उनका रो-रोकर बुरा हाल था। मेजर की बेटी जो कि अभी चार साल की है वह गुमसुम सबको देखती रही। उसको यह नहीं मालूम कि उसके घर में हो क्या रहा है।

19 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर केतन शर्मा और उनकी टीम ने दो आतंकी ढेर कर दिए थे। बाकी आतंकी झाड़ियों में छिपे हुए थे, जिन्हें मारने के लिए वे झाड़ियों को जला रहे थे। इसी दौरान आतंकियों की एक गोली सिर में लगी और मेजर शहीद हो गए। सोमवार शाम पांच बजे श्रद्धापुरी सेक्टर चार स्थित मेजर केतन शर्मा के आवास पर पहुंचे मेरठ छावनी के सैन्य अधिकारियों ने उनकी शहादत के बारे में परिवार वालों को बताया।
केतन शर्मा साल 2011 में वे आईएमए देहरादून में भर्ती हुए। पासिंग आउट परेड के बाद साढ़े तीन साल पुणे में ट्रेनिंग हुई। फिर मेरठ की 57 इंजीनियर रेजीमेंट में पोस्टिंग हुई। मेरठ में कुछ दिन ही रहे। वर्तमान में जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में मेजर पद पर तैनात थे।
पिता रविंद्र शर्मा ने बताया कि बेटे केतन ने ठान लिया था कि उसे सेना में अफसर ही बनना है। उसके इरादे व हौसला देखकर उन्होंने उसे कभी रोका नहीं और जितना हो सका सपोर्ट किया। उन्हें खुद को नहीं पता कि वह कब सेना में अफसर बन गया। चयन हुआ तो केतन ने फोन करके उन्हें बताया था कि वह अफसर बन गया। सुनकर परिवार के लोग बहुत खुश हुए थे।
कश्मीर में शहीद हुए मेरठ के रहने वाले मेजर केतन शर्मा के घर गमजदा माहौल में उन्हें आखिरी सलामी दी गई।