Friday, September 20, 2024

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हाईकोर्ट जज की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी, आरोप- जाति और वंशवाद के आधार पर होती हैं नियुक्तियां

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में जस्टिस पांडेय ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। जस्टिस पांडेय ने पीएम को लिखे पत्र में लिखा है कि न्यायपालिका (उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय) वंशवाद और जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त है। यहां न्यायाधीश के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायाधीश होना सुनिश्चित कर देता है। पत्र में उदाहरण देते हुए जस्टिस पांडेय ने लिखा कि राजनीतिक कार्यकर्ता के काम का मूल्यांकन चुनाव में जनता द्वारा किया जाता है। वहीं प्रशासनिक अधिकारी प्रतियोगी परीक्षाओं द्वारा चुने जाते हैं, लेकिन उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति का हमारे पास कोई निश्चित मापदंड नहीं है। जस्टिस पांडेय ने आरोप लगाते हुए लिखा कि नियुक्ति के लिए प्रचलित कसौटी केवल परिवारवाद और जातिवाद हैं।
जस्टिस पांडेय ने अपने पत्र में लिखा कि 34 साल के सेवाकाल के दौरान वह उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के कई न्यायाधीशों से मिले हैं, जिनके पास सामान्य विधिक ज्ञान और अध्ययन तक उपलब्ध नहीं था। जस्टिस पांडेय के अनुसार, कोलेजियम समिति के सदस्यों का पसंदीदा होने की योग्यता के आधार पर न्यायाधीश नियुक्त कर दिए जाते हैं। पत्र के अनुसार, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया बंद कमरों में चाय की दावत पर वरिष्ठ न्यायाधीशों की पैरवी और पसंदीदा होने के आधार पर होती है। जस्टिस पांडेय ने पत्र में बताया कि विभिन्न राज्यों में अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्य लोक सेवा (न्यायिक) और उच्च न्यायिक सेवा की नियुक्ति प्रक्रिया संबंधित राज्यों के उच्च न्यायालयों की निगरानी में होती है।

जस्टिस पांडेय ने पत्र में पीएम मोदी से कहा कि जब आपकी सरकार द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक चयन आयोग की स्थापना का प्रयास किया गया, तब पूरे देश को न्यायपालिका में पारदर्शिता के प्रति आशा जगी थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायलय ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप मानते हुए इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय की इस विषय में अति सक्रियता हम सभी की आंखे खोलने वाला प्रकरण सिद्ध होता है। जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने लिखा कि पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का विवाद बंद कमरों से सार्वजनिक होने का प्रकरण हो, हितों के टकराव का विषय हो, या सुनने की बजाय चुनने के अधिकार का विषय हो, न्यायपालिका की गुणवत्ता और अक्षुण्णता लगातार संकट में पड़ने की स्थिति रहती है।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels