Friday, September 20, 2024

Business, Delhi, Finance, News

आर्थिक सर्वेक्षण: वित्त वर्ष 2019-20 में विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान

संसद में देश की इकॉनमी की हेल्थ रिपोर्ट यानी आर्थिक सर्वे पेश कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में इसे सदन के पटल पर रखा। आर्थिक सर्वे दरअसल बजट से ठीक पहले देश की आर्थिक दशा की तस्वीर होती है। इसमें पिछले 12 महीने के दौरान देश में विकास का ट्रेंड क्या रहा, योजनाओं को किस तरह अमल में लाया गया, इस बारे में विस्तार से बताया जाता है। इस बार के आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2019-20 में देश की विकास की रफ्तार 7 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया गया है। बता दें कि 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही थी। 7 फीसदी ग्रोथ का मतलब है कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ता रहेगा। वहीं, ग्लोबल ग्रोथ के कम रहने की भी आशंका व्यक्त की गई है।
आर्थिक सर्वे में में 2019-20 में GDP की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में GDP की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत पर थी। सर्वे में आर्थिक वृद्धि के लिए अच्‍छी संभावनाओं की भविष्‍यवाणी भी की गई है। देश को 2024-25 तक 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर को निरंतर 8 प्रतिशत पर रखने की जरूरत होगी। समीक्षा कहती है कि 2024-25 तक भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टारगेट को हासिल करने के लिए भारत को अपनी वास्‍तविक वृद्धि दर को 8 प्रतिशत पर बनाए रखने की जरूरत होगी। समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि मांग, नौकरियों, निर्यात की विभिन्‍न आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए इन्‍हें अलग समस्‍याओं के रूप में नहीं, बल्कि एक साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारत की औसत वृद्धि दर 2015-15, 2017-18 में न केवल चीन से बल्कि कई बड़ी अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा रही थी।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels