आज जगन्नाथजी की रथयात्रा की धूम जगन्नाथपुरी उड़ीसा में लाखों की संख्या में पहुचे श्रद्धालुओं के साथ शुरू हो गयी है। रथ यात्रा का महोत्सव दस दिन तक चलेगा। इस दौरान देश दुनिया से लाखों की तादाद में श्रद्धालू उड़ीसा की जगन्नाथपुरी में पहुंच रहे हैं। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा उड़ीसा के पुरी तक ही सीमित नहीं रही है, अब यह देश के अलग अलग राज्यों के अलावा विदेशों में भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जा रही है। भारत के पड़ौसी देश बंग्लादेश, सैन फ्रांसिस्को और इंग्लैंड के लंदन के साथ ही कई देशों में यह रथ यात्रा निकाली जा रही है।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होने से पहले लोगों को बधाई दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा है, ‘रथ यात्रा के विशेष अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ।हम भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करते हैं और सभी के अच्छे स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद चाहते हैं। जय जगन्नाथ।’
हर साल उड़ीसा राज्य के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को देश और दुनिया में विख्यात इस भव्य यात्रा का आयोजन होता है। यह भव्य आयोजन शुक्ल पक्ष के 11वें दिन भगवान की घर वापसी के साथ समाप्त होता है। इस साल यह तिथि 4 जुलाई को यानी आज गुरुवार को पड़ रही है। रथ यात्रा की तैयारी महीनों पहले शुरू कर दी जाती है। इस रथयात्रा में हिस्सा लेने के लिए देश भर के अलावा विदेश से भी श्रृद्धालु आते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ को उनके बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अलग-अलग रथ पर उनकी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। तीनों रथ को बड़ी भव्यता के साथ सजाया जाता है।
इस मौके पर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहां पहुंचते हैं। इसके पीछे जहां रथ यात्रा के अद्भुत दृश्य को देखने की चाहत होती है तो वहां मुक्ति पाने का लालच भी श्रद्धालुओं को यहां खींच लाता है। मान्यता है कि द्वापर में द्वारिका और कलयुग में जगन्नाथपुरी ही मुक्ति का द्वार है।
रथ यात्रा की तैयारी हर साल बसंतपंचमी से शुरू हो जाती है। भगवान की यात्रा के लिए नीम के पेड़ की लकड़ी से रथ तैयार किया जाता है। खास बात यह होती है कि इसको बनाने में किसी भी प्रकार की धातु का कतई प्रयोग नहीं होता है। रथ की लकड़ी प्राप्त करने के लिए स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है।
जगन्नाथ जी का रथ 16 पहियों का बना होता है और इसमें लकड़ी के 332 टुकड़ों का प्रयोग किया जाता है और इसकी ऊंचाई 45 फीट होती है। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। रथ का निर्माण कार्य अक्षय तृतीया के दिन से आरंभ हो जाता है। उनका रथ बाकी दो रथों से आकार में बड़ा होता है। इनके रथ पर हनुमानजी और नृसिंह भगवान का प्रतीक अंकित रहता है और यह रथ यात्रा में सबसे पीछे रहता है।