
दो सीटों के लिए एक ही मतदान केंद्र पर अलग-अलग भागों में सुबह नौ बजे से मतदान जारी रहा। निर्वाचन आयोग के फैसले के अनुसार, अलग-अलग मतदान हुए। चूंकि ये उपचुनाव थे और अमित शाह व स्मृति ईरानी ने अलग-अलग तारीखों में इस्तीफा दिया था, इसलिए चुनाव आयोग की ओर से दोनों सीटों के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए गए थे। जबकि कांग्रेस ने संयुक्त चुनाव की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसे ठुकरा दिया गया।
कुल 100 विधायकों की अपनी ताकत के आधार पर, भाजपा के दोनों उम्मीदवार- विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उत्तर गुजरात के ओबीसी सेल के सदस्य जुगल किशोर ठाकुर की जीत एक पूर्व निष्कर्ष था। अगर चुनाव एक साथ होते तो भाजपा और कांग्रेस को पहली वरीयता के आधार पर एक-एक सीट मिलती। मगर वर्तमान स्थिति में विधायकों ने दो बार मतदान किया।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दावा किया था कि भाजपा को एकमात्र राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक कांधल जडेजा के साथ ही भारतीय जनजातीय पार्टी के दो व जनता दल-युनाइटेड (जदयू) के पूर्व नेता छोटूभाई वसावा के भी वोट मिले। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब भाजपा से हाथ मिला लिया, उसके बाद वसावा ने जदयू से नाता तोड़ लिया।
कांग्रेस के बागी विधायक अल्पेश ठाकुर और उनके समर्थक धवल सिंह झाला ने भी भाजपा उम्मीदवारों के लिए वोट डालने की जानकारी दी। इस तरह भाजपा को अपने 100 विधायकों के वोट मिलने के साथ ही बीटीपी के दो, एसीपी का एक और कांग्रेस के दो बागी विधायकों के वोट मिले। वहीं, कांग्रेस को अपने विधायकों के 69 मतों के अलावा एक मत मेवाणी का मिला। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में कुल सात सीटें खाली हैं। इनमें से चार विधायक लोकसभा के लिए चुन लिए गए, जबकि तीन अयोग्य थे।