Wednesday, July 03, 2024

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600 वर्ष पहले स्थापित की गयी 6 फीट के विशाल प्रतिमा वाला सामोद का वीर हनुमान जी का मंदिर लोगों की आस्था और मान्यताओं का है केंद्र

जयपुर से 43 किलोमीटर दूर शान्त पहाड़ियों के बीच सामोद पर्वत पर स्थित वीर हनुमानजी का मन्दिर लोगों की आस्थाओं का एक प्रमुख केंद्र है। दुर्गम पहाड़ियों के बीच 600 साल पुराने इस मंदिर में शनिवार और मंगलवार को भक्त और दर्शानार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है। 1100 सीढ़ियाॅं चढ़कर भक्त दर्शन के लिए पूरे जोश के साथ पहुंचते हैं, लेकिन अब मन्दिर के दर्शन और सुलभ बना दिये गये हैं। रोप-वे सेवा शुरू की गयी है जिसमें चार ट्रालियां दो आने व दो जाने के लिए मन्दिर तक शुरू की गयी है जिसमें एक बार में 16 श्रद्धालू दर्शन के लिए मन्दिर तक जा सकते हैं, जिसका किराया भी आने और जाने का मात्र 80 रूपये निर्धारित किया गया है। इस रोप-वे से जाने के लिए भारी भीड़ और लाइनें लगती हैं। वृद्ध और चलने फिरने में लाचार लोगों के लिए यह सुविधा काफी लोकप्रिय हो रही है  क्योंकि 1100 सीढ़ियाॅं चढ़कर मंदिर तक पहुंचना आसान नहीं था। सामोद के वीर हनुमानजी का मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ आता है उसकी हनुमानजी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।

वीर हनुमान जी का मन्दिर राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर से 43 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| ग्राम नांगल भरडा, तहसील चौमू में सामोद पर्वत पर स्थित यह मंदिर राजस्थान के सबसे धार्मिक स्थलो में से एक है। यह मन्दिर राजस्थान में ही नहीं अपितु पूरे भारत में प्रसिद्ध है| इस मन्दिर में हनुमान जी की 6 फीट की विशाल प्रतिमा स्थापित है और भगवान राम का मंदिर भी है| सामोद मंदिर ‘सीता राम जी, वीर हनुमान ट्रस्ट सामोद’द्वारा बनाया गया था।

कहा जाता है कि यहा पर लगभग 600 वर्ष पूर्व संत श्री नग्नदास जी अपने शिष्य श्री लालदास जी के साथ, हिमालय से भ्रमण करते हुए आए थे। वे सप्त पर्वत शिखरराज सामोद पर्वत पर तपस्या करने लगे। कहा जाता है कि एक दिन श्री नग्नदास जी ने आकाशवाणी सुनी, “मै शीघ्र ही वीर हनुमान के रूप में प्रकट होऊंगा।” उसी समय नग्नदास जी को पहाड़ी की चट्टान पर श्री हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन प्राप्त हुए। तब से श्री नग्नदास जी श्री हनुमान जी की आराधना करने लगे। जिस चट्टान पर उन्हें श्री हनुमान जी के दर्शन प्राप्त हुए थे वे उसे हनुमान जी का आकार देने लगे। वर्तमान में स्थित श्री हनुमान जी की 6 फीट ऊँची विशाल प्रतिमा तभी प्रतिष्ठित कर दी गयी थी और उसकी पूजा आरम्भ कर दी गई थी।
जिस समय इस मंदिर की प्रतिष्ठा की गई थी, तब यह स्थान अत्यंत ही एकांत और दुर्गम था। यहाँ जंगली जानवर विचरते थे। आम आदमी का आना-जाना ना के बराबर था। संत श्री नग्नदास जी वीर हनुमान जी की पूजा अर्चना किया करते थे और मूर्ति को पर्दे से ढककर ही रखते थे। लेकिन एक दिन एक भक्त मन्दिर में आया और पर्दा हटा कर दर्शन करने की प्रार्थना की। लालदास जी ने पर्दा हटाकर भक्त को श्री हनुमान जी के दर्शन करवा दिये। परंतु उसी समय मूर्ति से भयंकर गर्जना हुई और वह भक्त मूर्छित होकर गिर पड़ा। इस गर्जना से आसपास की पहाडियों पर गाय-बकरिया चराने वाले ग्वाले डरकर अपने-अपने घरों को लौट गये। यही कारण है कि श्री वीर हनुमान जी की पीठ ही अधिक पूजी जाने लगी। तब से धीरे-धीरे आस-पास के गावों में भी श्री वीर हनुमान जी की महिमा की चर्चा होने लगी और लोग पहाड़ी के दुर्गम रास्तो से चढ़कर दर्शन करने आने लगे।
सामोद वीर हनुमान जी का मंदिर आज के समय में काफी प्रसिद्ध हो गया है। कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन करने के लिए 1100 से ज्यादा सिढ़ियों को चढ़ना पड़ता है| इन सिढ़ियों की खास बात यह है कि इन्हें आज तक कोई सहीं तरीके से गिन नहीं पाया है। भक्त दूर-दूर से दर्शन करने आते है और यहाँ रुक भी जाते है। भक्तों के लिए भोजन-प्रसादी तैयार करने के लिए भी कमरे है।
श्री बालाजी समोद मंदिर समोद के पहाड़ो के बीच में स्थित है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन चोमू है। मंदिर चोमू रेलवे स्टेशन से मुश्किल से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह के लिए बसें नियमित रूप से उपलब्ध हैं।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels