Friday, September 20, 2024

News, Uttar Pradesh

यमुना एक्सप्रेसवे हादसा:राहत एंव बचाव कार्य के नाम पर घंटों तक तमाशबीन बना रहा आगरा प्रशासन

सोमवार को आगरा में दर्दनाक हादसा जिसमें 29 लोगों की जानें चली गई उसकी खबर मिलने के बाद लोगों की जिंदगी बचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी दो घंटे तक हाथ पर हाथ रखकर तमाशबीन बनकर तमाशा देखते रहे, उन्हें पता ही नहीं था कि उन्हें करना क्या है। बस दुर्घटना की खबर मिलने के बाद तुरन्त बस को सीधा किया जाना था, लेकिन अधिकारी पहुंच तो गये लेकिन कोई इंतजाम मौके पर उनके पास नहंी था जिससे जिंदा लोगों को जल्दी से बाहर निकाला जा सके। राहत एंव बचाव कार्यों के लिए छोटी छोटी चीजें भी घंटों तक घटनास्थल पर नहीं पहुंच सकी और जिंदा लोगों को बचाने के लिए किये जाने वाला राहत एंव बचाव कार्य सिर्फ लाशें निकालने तक सीमित रह गया।
सोमवार सुबह बस हादसे में प्रशासन का रेस्क्यू आॅपरेशन जिंदगी बचाने नहीं, शव बरामद करने के लिए चला। हादसे के चंद मिनट बाद ही सूचना प्रसारित हो गयी थी, सरकारी अमला तो पहुंच गया मगर दो घंटे तक हाथ मलते रहे। हादसे की भयावहता पता चलने के बाद भी न तो तत्काल बस को सीधा करने का इंतजाम किया गया और न ही बस से निकाले गये लोगों की मौके पर ही त्वरित उपचार की व्यवस्था, समय रहते अगर बस सीधी कर दी जाती तो शायद कई जिंदगियां और बचाई जा सकती थीं।
सुबह 4ः13 बजे हुए इस हादसे की सूचना टोल प्लाजा के गार्ड ने यूपी 100 की पीआरवी नंबर 41 को दी। पीआरवी पर तैनात कांस्टेबल जितेंद्र ने तत्काल ही कंट्रोम रूम में सूचना दे दी कि बस गहरी खाई में गिर गयी है और इसमें 60-65 लोग फंसे हैं इसके बाद वह अपने साथी लक्ष्य कुमार और देवेश के साथ मौके पर पहुंच गये पीआरवी की चार टाॅर्च की रोशनी में ग्रामीण निहाल सिंह और अन्य पानी में अंदर घुसकर लोगों को निकालते रहे। एंबुलेंस के इंतजार में घायल वहीं जमीन पर करीब 15-20 मिनट तक तड़पते रहे। एक्सप्रेस वे की देा एंबुलेंस आयीं, इनमें से एक में पांच घायलों को हाॅस्पीटल भेज दिया, दूसरी एंबुलेंस खराब हो गयी, ठीक करने के बाद इसमें चार घायल और भेजे, करीब 20 मिनट बाद प्राइवेट और सरकारी एंबुलेंस वहां पहुंचीं, इसके बाद सभी घायलों को निजी अस्पताल में भेज दिया, इस समय तक साढ़े पांच बज चुके थे।
अब सबसे ज्यादा चिंता नाले में डूबी बस में रह गये लोगों को निकालने की थी, बस सीधी करने के लिए जेसीबी की जरूरत थी, काफी इंतजार के बाद तीन जेसीबी पहुंची, करीब छः बजे बस सीधी हो पायी, तब बस में से लोगों को निकाला जा सका, मगर तब तक सभी लोग निढाल हो चुके थे, इन्हें हाथों से लटका-लटका लाये और जमीन पर लिटा दिया गया, इनकी नब्ज टओलने या धड़कर गिनने की जरूरत समझे बिना ही सीधे पोस्टपार्टम हाउस भिजवा दिया गया। डूबने की स्थिति में कृत्रिम सांस देकर जिंदगी की उम्मीद की जाती है मगर यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ, कहने को तो डाॅक्टर मौज्ूद थे लेकिन इन्होंने किसी को भी हाथ तक नहीं लगाया।
कई लोगों को सुरक्षित निकालने वाले निहाल सिंह और अन्य ग्रामीणें का कहना है कि अगर उन्हें सीढ़ी भी मिल जाती तो बस में घुसकर लोगों को बाहर निकाल लेते, लेकिन यहां मौजूद अधिकारी एक सीढ़ी का भी इंतजाम नहीं करा पाये।
पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और डाॅक्टर मौके पर तो पहुंच गये मगर उन्हें यह भी पता नहीं था कि करना क्या है, सभी खड़े होकर घायलों के लाश बनकर निकलने तक तमाशा देखते रहे। डीएम और एसएसपी साढ़े छः बजे पहुंचे।
सरकारी अस्पताल में इंतजामों की असलियत अधिकारी बखूबी जानते थे, इसलिए इनका प्रयास था कि घायल निजी अस्पताल में ही रहें। घायलों को यमुना पार के दो निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, 11 बजे के बाद मरीजों को एसएन की इमरजेंसी में शिट किया गया।
इतने बड़े हादसे के बाद कोई ग्रीन काॅरिडोर नहीं बनाया गया। घटनास्थल तक पहुंचने और यहां से मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए आम व्यवस्था ही थी। दुर्घटनास्थल पर सर्विस लेन से पहुंचना था, मगर यहां तक पहुंचने को लोूग एक्सप्रेस वे पर भटकते रहे। घटना के सवा दो घंटे बाद डीएम एनजी रवि कुमार और एसएसपी बबलू कुमार भी पहले एक्सप्रेस वे पर पहुंचे और बाद में सर्विस लेन से मौके पर आये।
हादसे के बाद एसएन को अलर्ट तो कर दिया गया था मगर इंतजाम पर्याप्त नहीं थे। आइसीयू में दो वेंटीलेटर ही खाली थे, इमरजेंसी में निर्माण कार्य के चलते ट्राॅमा सेंटर में बाल रोग वार्ड के मरीज भर्ती हैं, ऐसे में प्रथम तल पर बाल रोग वार्ड को आनन फानन में अस्थायी ट्राॅमा सेंटर बनाया गया, 28 बेड डाले गये।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels