लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक विधेयक चर्चा के बाद पास हो गया। इसके पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े। यह दूसरी बार है जब विधेयक लोकसभा में पास किया गया। इससे पहले फरवरी में भी बिल को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। इसके बाद नई सरकार को नियमों के तहत विधेयक को दोबारा लोकसभा में पास कराना पड़ा। वोटिंग के दौरान ही तृणमूल कांग्रेस और जेडीयू ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
बहस के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यह विधेयक धर्म या मजहब से नहीं, यह नारी की गरिमा से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ मिलना चाहिए। सीजेआई ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए कानून बनाने के लिए कहा था। कोर्ट के फैसले के बाद भी देश में तीन तलाक के 345 मामले सामने आए।” दूसरी तरफ कांग्रेस ने यूपीए के सभी सहयोगी दलों के साथ इस बिल का विरोध किया।एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिल को महिलाओं के खिलाफ बताया।
रविशंकर ने कहा, ”इसी सरकार ने भारत की बेटियों को फाइटर पायलट बनाया। आज वे चंद्रयान मिशन तक को लीड कर रही हैं। आज सदन में 78 महिलाएं चुनकर आई हैं। इस बार मेरा भी सौभाग्य है कि मैं भी पहली बार पटना से लोकसभा का सदस्य बना हूं। इस बार सदन की आवाज खामोश नहीं रहेगी। तीन तलाक को सियासी चश्मे से न देखा जाए। यह नारी के न्याय और गरिमा का मामलाहै। दुनिया के 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को बदला है।”
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”तीन तलाक कानून महिलाओं के खिलाफ है। क्या शौहर जेल में रहकर भत्ता देगा। सरकार इस तरह औरतों को सड़क पर लाने का काम कर रही है। इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह होती है। यह जन्म-जन्म का साथ नहीं है। मैं सुझाव देता हूं कि कानून न बनाकर मेहर की 500% रकम लौटाने का प्रावधान कर दिया जाए। हमको इस्लामिक देशों से मत मिलाइए वरना कट्टरपंथी को बढ़ावा मिलेगा।”