यमुना एक्सप्रेसवे पर रोडवेज बस हादसे के मामले में पुलिस ने रिपोर्ट 17दिन बाद गुरुवार को दर्ज की है। वो भी तब जब मृतकों के आश्रितों ने अधिकारियों को फोन कर बताया कि रिपोर्ट न होने के कारण उन्हें बीमा राशि नहीं मिल पा रही है। यह रिपोर्ट भी पुलिस ने अपनी ओर से दर्ज नहीं की है बल्कि मौके पर सबसे पहले पहुंचे युवक निहाल सिंह से तहरीर ली है।
हादसा आठ जुलाई की सुबह सवा चार बजे हुआ था। लखनऊ से दिल्ली जा रही अवध डिपो की बस संख्या यूपी 33 एटी 5877 आगरा के थाना एत्मादपुर क्षेत्र में झरना नाला में गिर गई थी। 29 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 25 गंभीर रूप से घायल हुए थे।
बस ड्राइवर कृपाशंकर चौधरी निवासी गांव गिरधार थाना रूधौली जिला बस्ती की भी मौके पर ही मौत हो गई थी। पुलिस ने उस दिन दुर्घटना का केस दर्ज करने के बजाय सिर्फ जीडी में तस्करा लिख दिया था।
सूत्रों ने बताया कि मृतकों के परिजनों ने बीमा के लिए क्लेम किया तो बीमा कंपनियों ने बताया कि दुर्घटना की एफआईआर होना जरूरी है। इन लोगों ने पुलिस अधिकारियों को फोन किया। इसके बाद पुलिस ने गांव चौगान की ठार से निहाल सिंह की तहरीर पर गुरुवार घटना के 17दिन बाद केस दर्ज किया है।