आगरा जिला जेल बुधवार को एक नई शुरुआत की गवाह बनी, जेल में एफएम रेडियो बजा। रेडियो जॉकी कोई और नही एक महिला और पुरुष कैदी थे। इसका नाम जिला कारागार रेडियो आगरा रखा गया है।
उन्होंने इसे जेल में कैदियों के लिए सकारात्मक शुरुआत बताया। फिलहाल दो रेडियो जॉकी इसमे काम करेंगे। महिला कैदी आइआइएम बेंगलुरु से स्नातक है। जबकि दूसरा पुरुष कैदी एमए है। ये रेडियो कैदियों की प्रतिभा को निखारने का काम करेगा। रेडियो जॉकी कैदियों के मनपसंद गानों को सुनाने के साथ ही उस गाने का इतिहास भी बताएगा। साथ ही समाचार समेत अन्य ज्ञानवर्धक जानकारी भी देगा। जेल में रेडियो दोपहर 3 से 4 बजे एक घंटे का कार्यक्रम प्रस्तुत करेगा।
तिनका-तिनका संस्था के तहत जेलों में सजा काट रहे कैदियों को सुधारने के लिए
कार्यक्रम चलाया जा रहा है। संस्था की वर्तिका नंदा ने जेल में रेडियो की संकल्पना की है। जिला जेल के मुख्य द्वार पर बने कमरे में रेडियो का स्टूडियो तैयार किया गया है। जेल रेडियो टीम का गठन किया गया है। टीम में 10 से ज्यादा कैदी हैं। इसके लिए इन बंदियों को बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया है। वर्तिका नंदा के अनुसार जेल में एक नए बदलाव को लाते हुए बंदियों में आत्मविश्वास और शिक्षा की अलख को जगाना है। रेडियो के लिए अपनी स्क्रिप्ट भी बंदी तैयार कर रहे हैं।
आगरा की जिला जेल में अब जेल रेडियो की शुरुआत हुई है। जेल रेडियो का शुरू करने का मकसद बंदियों के बीच सकारात्मक मैसेज देना है। इस रेडियो की ख़ास बात ये है कि इस रेडियो को जेल में बंद कैदी ही चलाएंगे। साथ ही कैदी ही रेडियो जॉकी होगा और वही फरमाइशी गाने सुनाएगा। बंदियों को फरमाइशी गीत या भजन सुनने के लिए पहले ही लिख कर बताना होगा कि वह क्या सुनना चाहते हैं। गीत के अलावा रेडियो पर वो सब कुछ प्रसारित किया जायेगा जो बंदियों की मानसिक स्थिति को बदल सके। इस रेडियो को चलाने के लिए एक छोटा सा स्टूडियो बनाया गया और उस स्टूडियो से सभी बैरकों में स्पीकर जुड़े हुए हैं। एक निजी संस्था के जरिये इस अनोखी पहल जिला जेल में शुरू की गयी है।
इस एफएम रेडियो स्टेशन का उद्धाटन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आगरा बबलू कुमार और तिनका तिनका संस्था की अध्यक्ष वर्तिका नंदा ने किया, उन्होंने कहा कि जेल में बंद कैदियों के लिये एक सकारात्मक पहल है।