सावन माह के तीसरे सोमवार को तीर्थराज बटेश्वर में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। कासगंज के सोरों से कांवड़ में गंगाजल लेकर पहुंचे कांवड़ियों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इस दौरान मंदिर परिसर हर हर महादेव, बम बम भोले के जयकारों से गुंजायमान हो गए। यमुना घाटों पर केसरिया छटा बिखर गई।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहां हेलीकॉप्टर से कावंड़ियों के ऊपर फूल गिराये जा रहे थे वहीं बटेश्वर फूल तो दूर की बात थी भीषण गंदगी की बदबू के बीच 24 घंटे तक लाइन में खड़े रहे कावंड़ियों का बेहोश हो कर गिरना जारी था ।
जिला प्रशासन कांवड़ियों को लेकर पूरी तरह बेपरवाह था। श्री बटेश्वर नाथ के मुख्य पुजारी जय प्रकाश गोस्वामी प्रशासनिक अनदेखी से काफी नाराज दिखे ।
उन्होंने बताया है इतनी बड़ी संख्या कांवड़ियों के जुटने के बाद भी यहां कोई बंदोबस्त नहीं किये गये यहां तक भीषण गंदगी तक 41 मदिरोंं श्रृंखला के सामने नहीं की गयी।
यमुना घाटों की सफाई नहीं की गयी जिसके कारण श्रृद्धालु काफी परेशान रहे। यह उस बटेश्वर की दुर्दशा जो पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई का गांव भी है।
रविवार को ही बटेश्वर में सैकड़ों शिवभक्तों ने डेरा डाल दिया था। सोमवार को भी कांवड़ियों के आने का सिलसिला जारी रहा। कंधे पर झूलती कांवड़ और पैरों में बजते घुंघरू के साथ ‘हर हर बम बम’ के जयघोष के साथ बटेश्वर पहुंच रहे कांवड़ियों की भक्ति देखते बन रही थी।
किवदंती है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव कासगंज के सोरों से भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए कांवड़ में गंगाजल भर कर लाए थे। यह किवदंती सावन के तीसरे सोमवार को भोलेनाथ के अभिषेक की परंपरा बन गई है। सैकड़ों साल पुरानी परंपरा के अनुसार हजारों कावड़िये गंगाजल लेकर बटेश्वर पहुंचे। सोमवार तड़के ही मंदिरों के बाहर लंबी शिवभक्तों की कतारें लग गईं। यमुना में स्नान के बाद भक्तों ने भगवान भोले का जलाभिषेक किया।
शिवभक्त के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति भी देखने को मिल रहा है। कई श्रद्धालु राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से सजी कांवड़ लेकर बटेश्वर पहुंचे। विभिन्न इलाकों से पहुंचे युवाओं ने हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए।
श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते यमुना घाटों पर पीएसी के गोताखोर तैनात रहे। यातायात को भी डायवर्ट किया गया है। कांवड़ियों को नौरंगी घाट से माल गोदाम के रास्ते जाना पड़ रहा है। श्रद्धालुओं के वाहन खांद पर खड़े कराए गए, जहां मंदिर शृंखला तक कांवड़िय पैदल पहुंचे।