संयुक्त राष्ट्र के अंदर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उठाकर इस पूरे मामले को अंतरराष्ट्रीय रूप देने की चीन और पाकिस्तान की नापाक साजिश को शुक्रवार को भारत ने अपने दमदार तर्कों और सबूतों से खारिज कर दिया। भारत की फील्डिंग इतनी शानदार रही कि रूस ने संयुक्त राष्ट्र की ‘बंद कमरे’ में बैठक शुरू होने से पहले ही जम्मू-कश्मीर को भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला बता दिया। बैठक के बाद भारत के जवाबी हमले का दौर आया।
क्रिकेट के शौकिन संयुक्त राष्ट्र में भारत के ‘रॉक स्टार’ राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने इसकी कमान संभाली और मुस्कराते हुए शब्दों की चाशनी में अपने लाजवाब तर्कों और तथ्यों को लपेटकर चीन और पाकिस्तान दोनों को ही ‘धो’ डाला।
राजनयिक हलके में भारत की जोरदार ‘फील्डिंग’ और बेहद आक्रामक ‘बल्लेबाजी’ का असर यह रहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने के भारतीय प्रयासों की सराहना की। यही नहीं चीन और पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बाद भी इस बैठक पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ। भारत की इस राजनयिक सफलता का पूरा श्रेय विदेश मंत्रालय की टीम को दिया जा रहा है जिसका नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने किया।
सैयद अकबरुद्दीन वर्ष 1985 में भारतीय विदेश सेवा जॉइन करने वाले सैयद अकबरुद्दीन के पिता एस बदरुद्दीन हैदराबाद स्थित उस्मानिया यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के हेड थे। एस बदरुद्दीन बाद में कतर में भारत के राजदूत बनाए गए थे। अकबरुद्दीन की मां डॉक्टर जेबा इंग्लिश की प्रफेसर थीं। अपनी हाजिरजवाबी और आत्मसंयम के लिए मशहूर अकबरुद्दीन पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने विदेश मंत्रालय में अब तक कई महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक काम किया है।