देश की इकॉनमी में मंदी की चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन इस बीच की पद्म विभूषण से सम्मानित और इंफोसिस के सह संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति अलग राय सामने आई है। उन्होंने मंदी जैसे संकट की बात से इनकार ही नहीं किया है बल्कि उनका कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था 300 साल में सबसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि इकॉनमी की अच्छी स्थिति के चलते गरीबी को खत्म करने का अवसर और विश्वास पैदा हुआ है।
भारत दुनिया का सॉफ्टवेयर विकास केंद्र बन गया है. वहीं विदेशी मुद्रा भंडार ने 400 बिलियन डॉलर को पार कर लिया है. इन हालातों में निवेशक का विश्वास ऐतिहासिक ऊंचाई पर है.”
गोरखपुर में मदन मोहन मालवीय टेक्निकल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में नारायणमूर्ति ने कहा, ‘300 सालों में पहली बार ऐसा आर्थिक माहौल पैदा हुआ है, जिससे विश्वास बना है कि हम गरीबी खत्म कर सकते हैं और भारत का बेहतर भविष्य हो सकता है।’ टेक कंपनी के संस्थापक ने कहा, ‘यदि हम जमकर प्रयास करें तो हम गरीब बच्चों की आंखों के आंसू पोंछ सकते हैं, जैसा कि महात्मा गांधी चाहते थे।’
नारायण मूर्ति ने कहा कि आज के युवा चारों ओर छाए अंधेरे को मिटाने को तैयार हैं। सबके लिए देश को बेहतर बनाने की ऊर्जा उनमें है। उन्होंने एमएमटीएमयूटी में उपाधि प्राप्त कर रहे युवा इंजीनियरों को बधाई देते हुए कहा कि आप उन चंद भाग्यशालियों में हैं जिनको भारत के विश्वविद्यालय से शिक्षा पूरा करने का अवसर मिला है।
नारायणमूर्ति ने हर नागरिक के लिए अच्छी स्थिति पैदा करने को देशभक्ति करार देते हुए कहा कि सिर्फ मेरा भारत महान और जय हो कहना ही देशभक्ति नहीं है। नारायणमूर्ति ने कहा कि देशभक्ति का अर्थ राष्ट्र के लिए काम करना है। निजी हित से हमेशा देश को पहले रखना है। उन्होंने कहा, ‘हमें अपने अहंकार और पूर्वाग्रहों को छोड़कर हर स्थिति में राष्ट्र को ही सर्वप्रथम रखना चाहिए।’
नारायण मूर्ति ने कहा, ‘हमें खुद को पहले भारतीय के रूप में पहचानना होगा। राज्यों, धर्म और जाति से ऊपर उठना होगा। बोलने की स्वतंत्रता जैसे मूल्य देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए आवश्यक है। इनका संरक्षण करना ही असल देशभक्ति है।