Friday, September 20, 2024

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अगर भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध है, तो मैंने अपराध किया है – जस्टिस राकेश कुमार

पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अमरेश्‍वर प्रताप साही ने हाई कोर्ट की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाने वाले सबसे वरिष्‍ठतम जज राकेश कुमार (Justice Rakesh Kumar) को नोटिस जारी कर उन्‍हें सभी प्रकार की सुनवाई करने से रोक दिया है। जस्टिस राकेश कुमार ने  ने एक पूर्व आईएएस अधिकारी के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए एक आदेश जारी कर कहा था कि किस तरह से बिहार में न्‍याय‍पालिका भ्रष्‍टाचार में आकंठ डूबी हुई है।

हाई कोर्ट की 11 जजों की पीठ ने जस्टिस राकेश कुमार द्वारा दिए गए आदेश को सस्‍पेंड कर दिया और उस पर ऐक्‍शन लेने से रोक लगा दी। चीफ जस्टिस साही ने बुधवार को एक नोटिस जारी कर कहा कि जस्टिस राकेश कुमार के पास लंबित सभी मामलों को तत्‍काल प्रभाव से वापस लिया जाता है। इससे पहले जस्टिस कुमार ने पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के खिलाफ भ्रष्‍टाचार के मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत पर तीखी टिप्‍पणी की थी।

जस्टिस कुमार ने कहा कि निचली अदालत के रमैया को बेल देने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गिरफ्तारी से संरक्षण देने वाली याचिका को खारिज कर दिया फिर उन्‍हें बेल कैसे दी गई। बता दें कि सेवानिवृत्‍त आईएएस अधिकारी पर बिहार महादलित विकास मिशन से 5 करोड़ रुपये का गबन करने का आरोप है।

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के गिरफ्तारी पूर्व जमानत के अनुरोध को खारिज करने के बाद मई में रमैया ने निचली अदालत के समक्ष मई महीने में आत्‍मसमर्पण कर दिया था। निचली अदलात ने उन्‍हें जमानत दे दी थी। जस्टिस कुमार ने निचली अदालत के इस फैसले पर टिप्‍पणी करते हुए कहा क‍ि रमैया जैसा एक ‘भ्रष्‍ट अधिकारी’ को सतर्कता अदालत के नियमित जज के बजाय छुट्टियों पर काम करने वाले एक जज के सुनवाई करने से जमानत मिल गई।

जस्टिस कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि पटना हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने निचली अदालत के किसी जज के खिलाफ हर बार आए किसी मामले पर अपना नरम रुख अपनाया है। उन्‍होंने कहा, ‘मेरे विरोध के बाद भी गंभीर आरोपों को सामना कर रहे एक जज को दूसरों के लिए नजीर बनने वाली सजा देने की बजाय मामूली सी सजा देकर जाने दिया गया।’ उन्‍होंने कहा कि देश के करदाताओं का करोड़ों रुपया इन्‍हीं जजों के घरों को सजाने पर खर्च किया जाता है।

जस्टिस कुमार ने अपने आदेश की कॉपी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेजने का आदेश दिया। उधर, जस्टिस कुमार के इस आदेश से नाराज पटना हाई कोर्ट के 11 जजों ने उन्‍हें नोटिस जारी किया है। यही नहीं जस्टिस कुमार के आदेश पर भी रोक लगा दी गई है। जस्टिस कुमार से सभी मामले वापस ले लिए गए हैं।

उधर, जस्टिस राकेश कुमार ने कहा, ‘‘अगर भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध है, तो मैंने अपराध किया है।’’ दरअसल, जस्टिस कुमार ने हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला उठाकर जांच के आदेश दिए थे। बता दें कि राकेश कुमार के आदेश की कॉपी, सीजेआई, सीबीआई और पीएमओं को भेजने को कहा था।

जस्टिस राकेश कुमार ने कहा, ‘‘मैंने जो किया है, उसके लिए मुझे कोई भी पछतावा नहीं है। मुझे जो सही लगा, मैंने वही किया। मैंने अपने आदेश में जिन पर आरोप लगाया है, उन्हीं में से कुछ जज चीफ जस्टिस के साथ स्पेशल बेंच में सुनवाई की। मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं और किसी भी स्थिति में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करूंगा।

उन्होंने कहा कि अगर चीफ जस्टिस को लगता है कि वे मुझे न्यायिक कार्य से अलग रखकर खुश हैं, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि न्यायिक कार्य आवंटित करने का अधिकार उनका है। मैंने केवल अपने संवैधानिक दायित्व का पालन किया है। किसी के प्रति मेरे मन में दुर्भावना नहीं है।’’

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होने कहा था कि न्यायपालिका (उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय) वंशवाद और जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त है। यहां न्यायाधीश के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायाधीश होना सुनिश्चित कर देता है।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels