Friday, September 20, 2024

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असम में एनआरसी की फाइनल ल‍िस्‍ट जारी, 19 लाख लोग हुए बाहर,पूरी प्रक्रिया में करीब 900 करोड़ रु. खर्च

नागरिक रजिस्टर (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी की केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी है।  कुल तीन करोड़ 11 लाख 21 हजार चार लोगों के नाम एनआरसी सूची में शामिल हैं। वहीं 19 लाख 6 हजार 657 लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं हैं। असम में नागरिकता पहचान का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है। राज्य सरकार ने सूची में नाम नहीं आने पर लोगों को भयभीत न होने और हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है। कई संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू की गई है और राज्य में सुरक्षाबलों की 218 कंपनियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

असम सरकार पहले ही कह चुकी है जिन लोगों को एनआरसी सूची में शामिल नहीं किया गया उन्हें किसी भी स्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) उन्हें विदेशी ना घोषित कर दे। बयान में कहा गया कि सुबह 10 बजे अंतिम सूची प्रकाशित की गई। शामिल किए गए लोगों की पूरक सूची एनआरसी सेवा केंद्रों (एनएसके), उपायुक्त के कार्यालयों और क्षेत्राधिकारियों के कार्यालयों में उपलब्ध है, जिसे लोग कामकाज के घंटों के दौरान देख सकते हैं।

सूची जारी किए जाने की सूचना मिलने के बाद सैकड़ों की संख्या में लोग कार्यालयों के बाहर जमा होना शुरू हो गए। जिन लोगों का नाम सूची में था, वे प्रसन्न थे और जिनका नाम नहीं था, वे दुखी थे।
सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी कांग्रेस और ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ने कहा है कि वे अंतिम नागरिकता सूची से असंतुष्ट हैं।

असम सरकार में भाजपा के वरिष्ठ मंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए कई शरणार्थियों को एनआरसी सूची से बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20 प्रतिशत और शेष असम में 10 प्रतिशत के पुन: सत्यापन की अनुमति देनी चाहिए। सरमा ने कहा कि जैसा कि कई लोगों ने आरोप लगाया है, विरासत संबंधी आंकड़ों से छेड़छाड़ की गई।

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) शनिवार को जारी अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से बाहर रखे गए नामों के आंकड़े से खुश नहीं है और इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगा। आसू के महासचिव लुरिनज्योति गोगोई ने कहा कि हम इससे बिल्कुल खुश नहीं हैं। ऐसा लगता है कि अद्यतन प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं। हम मानते हैं कि एनआरसी अपूर्ण है। हम एनआरसी की खामियों को दूर करने के लिए उच्चतम न्यायालय से अपील करेंगे।

इस विषय पर उच्चतम न्यायालय में मूल याचिकाकर्ता द असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने कहा कि अंतिम एनआरसी त्रुटिपूर्ण दस्तावेज है। भाजपा के पूर्व सांसद रमन डेका ने आरोप लगाया कि बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आए अवैध मुस्लिमों को स्थान मिल गया लेकिन काफी स्थानीय लोग बाहर रह गए। एनआरसी मसौदे के हिस्से के तौर पर 31 दिसम्बर 2017 की आधी रात को 1.9 करोड़ लोगों के नाम इसमें शामिल किए गए थे।

गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में एनआरसी के अंतिम मसौदा से 3,29,91,384 करोड़ लोगों में से 40,07,707 लोगों को बाहर कर दिया गया था। इसके बाद जून में 1,02,462 लोगों को बाहर कर दिया गया था। करीब 20वीं सदी की शुरुआत से ही बांग्लादेश से अवैध घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा असम अकेला राज्य है जहां पहली बार 1951 में राष्ट्रीय नागरिक पंजी तैयार किया गया था। तब से ऐसा पहली बार है जब एनआरसी को अद्यतन किया गया है।

असम देश का अकेला राज्य है, जहां सिटिजन रजिस्टर है। इस तरह का पहला रजिस्ट्रेशन साल 1951 में किया गया था। 2018 तक 3 साल में राज्य के 3.29 करोड़ लोगों ने नागरिकता साबित करने के लिए 6.5 करोड़ दस्तावेज सरकार को भेजे। ये दस्तावेज करीब 500 ट्रकों के वजन के बराबर थे। इसमें 14 तरह के प्रमाणपत्र थे। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 900 करोड़ रु. खर्च हुए। असम में 33 जिले हैं, इनमें से 9 जिलों में मुस्लिम आबादी आधी से ज्यादा है।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels