दबंगों के जुल्म और यूपी पुलिस की ज्यादती का शिकार मथुरा का जोगेंद्र आखिरकार जिंदगी से हार गया। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रविवार को उसने दम तोड़ दिया। वहीं डॉक्टर के मुताबिक जोगेंद्र की पत्नी हालत भी लगातार बिगड़ रही है।
पुलिस दबंगों के खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिख रही थी। सुरीरकलां निवासी दंपती जोगेंद्र और चंद्रवती ने 28 अगस्त को सुरीर कोतवाली में खुद को आग लगा ली थी। हालत बिगड़ने पर दंपती को दिल्ली के सफदरजंग में भर्ती कराया गया।
सुरीरकलां निवासी जोगेंद्र मजदूरी करता है। गांव के कुछ युवक उसके और पत्नी के साथ मारपीट कर रहे थे और उसकी जमीन पर कब्जे का प्रयास कर रहे थे। जोगेंद्र ने कई बार कोतवाली सुरीर में इस बारे में शिकायत की लेकिन पुलिस आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी। जिसके कारण आरोपियों को हौसले बुलंद थे। जुगेंद्र का आरोप है कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय थाने से उसे ही हड़का कर भगा दिया जाता था।
बुधवार को जोगेंद्र और उसकी पत्नी चन्द्रवती घर से ही मिट्टी का तेल छिड़ककर कोतवाली पहुंचे। कोतवाली परिसर में पर दंपती ने खुद को आग लगा ली। पुलिस कर्मी उनकी आग बुझाने को दौड़े। लेकिन तब तक दोनों गंभीर रूप से झुलस चुके थे। आग की लपटों से घिरा जोगेंद्र रोते हुए बोल रहा था कि उसकी किसी ने नहीं सुनी। थाने में कई बार आया दरोगा और बड़े साहब उसे ही डांटकर भगा देते थे।
आनन-फानन में इंस्पेक्टर और दो दरोगा निलंबित करके इस मामले में लीपापोती की गई। इसके बाद पुलिस अपने बचाव में जुट गई है। उधर, दिल्ली में इलाज के दौरान जोगेंद्र की मौत हो गई।
कोतवाली प्रभारी रवि त्यागी ने बताया कि बबलू ठाकुर पुत्र वीरी सिंह, शिम्मो पुत्र जल सिंह, सत्यापाल पुत्र थान सिंह, थान सिंह पुत्र निनुआ और मोहनश्याम पुत्र दौलतराम के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ है।
इधर, इस मामले में दंपती के बेटे ने पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। उसने कहा है कि इन्हीं लोगों ने आग लगाई थी, जबकि उस वक्त जो वीडियो वायरल हुआ था उसमें जोगेंद्र खुद को आग लगाने की बात कर रहा था।