आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में शनिवार को प्रसूता को ऑक्सीजन न मिलने पर मौत हो गई। परिजनों ने स्त्री एवं प्रसूति विभाग में हंगामा किया। पुलिस को शव नहीं ले जाने दिया। काफी समझाने के बाद परिजन माने और शव का पोस्टमार्टम कराया।
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवायें स्वयँ वेंटिलेटर पर पड़ी हैं संवेदनाएं मर चुकी हैं, एक पवित्र पेशा ग़ैरपेशेवरों के कारण बदनाम हो रहा है। आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस सरकारी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को इलाज मिलना तो दूर बीमार व्यवस्थाओं से उनकी हालत और खराब हो जाती है। कभी इलाज नहीं मिलता तो कभी स्ट्रेचर और एंबुलेंस, कभी ऑक्सीजन।
ताजगंज निवासी सिम्मी (24) को 21 अगस्त को स्त्री रोग विभाग में भर्ती कराया। 23 अगस्त को ऑपरेशन से बेटे को जन्म दिया। दौरा पड़ने पर 25 अगस्त को इसे आईसीयू में भर्ती कराया गया। यहां तीन भर्ती रही, हालत में सुधार होने पर 29 को वार्ड में शिफ्ट कर दिया।
मृतका की भांजी वीनेश ने बताया कि मामी को मास्क लगा हुआ था, रात को करीब 11 बजे उनको सांस लेने में तकलीफ हुई। इस पर वो स्टाफ के पास गई और परेशानी बताकर ऑक्सीजन शुरू कराने को कहा। इसका आरोप है कि उस वक्त चिकित्सकीय स्टाफ रसगुल्ला खा रहे थे और बोले कि तुम चलो, हम आते हैं।
परिजनों ने पुलिस को शव नहीं ले जाने दिया। जैसे ही पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए एंबुलेंस में रखवा रही थी, परिजनों ने एंबुलेंस के दरवाजा के रास्ता रोक लिया और पुलिस से उलझ गए। विरोध जताते हुए परिजनों की पुलिस से तीखी नोंकझोंक हुई। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनसे अभद्रता भी की।
सिम्मी का पति राजेश कुमार की पहले ही मौत हो गई है। सिम्मी पर पहले से दो बच्ची हैं और तीसरा यह बेटा है। सिम्मी के रिश्तेदार राधेश्याम बताते हैं कि गरीबी हाल में बच्चों की जैसे-तैसे परवरिश करती थी, अब उसकी भी मौत हो गई, कैसे बच्चों का पालन होगा। इतना कहते ही परिजन रोने लगे।