जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरपंचों का 100 सदस्यीय डेलिगेशन गृह मंत्रालय में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, गृह सचिव एके भल्ला, अपर सचिव ज्ञानेश कुमार भी मौजूद थे। इस डेलिगेशन में पुलवामा, कश्मीर, जम्मू और लद्दाख के लोग शामिल हैं।
सरपंचों ने गृह मंत्री अमित शाह और आला अधिकारियों के साथ बैठक कर घाटी की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया। इस बैठक में गृह मंत्रालय के आला अधिकारी और कश्मीर डिविजनल कमिश्नर सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए
सूत्रों ने बताया कि बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे विकास की राशि सरपंचों तक पहुंचे ताकि इस पैसे से गांव की असल समस्या से निपटा जा सके। इसके अलावा कश्मीर के गांव के सरपंच को गांव के विकास का सीधा भागीदार बनाने की रणनीति पर भी बातचीत हुई।
सरपंचों से अमित शाह ने कहा कि यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी होगी कि विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंचे और शांति और समृद्धि का वातावरण बना रहे। उन्होंने जल्द से जल्द विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती शुरू करने का वादा किया और कहा कि सरकार प्रत्येक गाँव से कम से कम पांच उम्मीदवारों की मेरिट-आधारित भर्ती सुनिश्चित करेगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने सरपंचों के प्रतिनिधिमंडल को सूचित किया कि 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियमों के प्रावधान जम्मू-कश्मीर के लिए लागू होंगे और यह जम्मू-कश्मीर में स्थानीय प्रशासन और पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने का काम करेगा। मोबाइल कनेक्टिविटी और संचार की बहाली के मुद्दे पर, केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे को समाधान जल्द से जल्द किया जाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि हालात सुधरने के साथ जम्मू और कश्मीर के राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल कर दिया जाएगा। उन्होंने प्रतिनिधियों ने फवाहों पर विश्वास न करने के लिए कहा। अमित शाह ने प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि किसी की जमीन नहीं ली जाएगी और सरकारी भूमि का उपयोग उद्योगों, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिए किया जाएगा, जिससे न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि राज्य के कर राजस्व में भी वृद्धि होगी, जिसका उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जाएगा।