जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र के अस्तित्व पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के सवाल उठाने के बाद भाजपा ने बृहस्पतिवार को पलटवार करते हुए कहा कि वह ”मानसिक रूप से दिवालिया हैं। आजाद ने बुधवार को कहा था कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद राज्य में लोकतंत्र नहीं है और लोग डर के साये में जी रहे हैं। प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) रमेश अरोड़ा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”गुलाम नबी आजाद मानसिक रूप से दिवालिया हैं, जो यह कह रहे हैं कि अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने और राज्य के पुनर्गठन (राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के निर्णय) के बाद जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र नहीं है।
उन्होंने कहा कि आजाद को बहुमत के फैसले का सम्मान करना चाहिए, जिसने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने का समर्थन किया है। भाजपा नेता ने कहा, ”आजाद ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो लोकतंत्र की मूल भावना की हत्या कर रहे हैं। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह कह रहा है क्योंकि यह उसके अनुरूप है। उन्होंने कहा, ”आजाद को यह बताना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र लेकर क्यों गये थे और क्यों आंतरिक मुद्दे का खुद से हल करने की उनकी पार्टी के पास साहस नहीं था। अरोड़ा ने कहा, ”आजाद को यह बताना चाहिए कि 1975 में लोकतंत्र की हत्या क्यों की गई जब शेख अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनवा दिया गया, जबकि सैयद मीर कासिम के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में थी। यह लोकतंत्र की हत्या थी।
उन्होंने केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा 1975 में आपातकाल लगाये जाने को लेकर भी आजाद की आलोचना की। गौरतलब है कि दिल्ली रवाना होने से पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ”कश्मीर में निराशा है और जम्मू के लोग भी निराश हैं। अपने दौरे के दूसरे चरण में आजाद मंगलवार को जम्मू पहुंचे थे। इससे पहले, उन्होंने तीन बार श्रीनगर पहुंचने की कोशिश की थी लेकिन प्रशासन ने हवाई अड्डे से उन्हें लौटा दिया था ।
आजाद ने कहा, ”मैंने दुनिया में कहीं भी प्रशासन का ऐसा आतंक नहीं देखा है। दर्जा बदले जाने के बाद राज्य में कहीं भी लोकतंत्र नहीं है । राज्य से यह खत्म हो चुका है। आजाद का दौरा तब मुमकिन हुआ, जब 16 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने उन्हें राज्य जाने की अनुमति दी थी ।