सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर चल रही मैराथन सुनवाई बुधवार को खत्म होने के आसार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 39 सुनवाईयों में करीब 165 घंटे तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। हिंदू पक्षकार ने पहले 16 दिन में 67 घंटे 35 मिनट तक मुख्य दलीलें रखीं। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने 18 दिन में 71 घंटे 35 मिनट तक पक्ष रखा। पांच दिन में दोनों पक्ष एक-दूसरे की दलीलों पर 25 घंटे 50 मिनट तक जवाबी जिरह कर चुके हैं। खास बात यह भी है कि इस केस के चलते इन वकीलों ने एक भी नया मुकदमा अपने हाथ में नहीं लिया और अपने पुराने मामलों की सुनवाई आगे बढ़ाने के लिए समय-समय पर अर्जी लगाते रहे। इसी के साथ देश के न्यायिक इतिहास में यह दूसरा सबसे लंबा चलने वाला मामला बन गया है। 68 दिन तक चला केशवानंद भारती केस सबसे लंबा मुकदमा है।
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच सबसे ज्यादा बहस विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर हुई। ढेरों दस्तावेज, एएसआई रिपोर्ट और धर्मग्रंथों का भी हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने सहारा लिया।
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर कुल 20 याचिकाओं में रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा मुख्य पक्षकार हैं। इसमें एक नया पक्षकार शिया सेंट्रल बोर्ड भी है, जो विवादित जगह पर राम मंदिर को ही बनाए जाने की वकालत कर रहा है। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2010 में विवादित क्षेत्र को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का फैसला सुनाया था। यह केस 2011 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 8 साल बाद नियमित सुनवाई शुरू हुई तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने स्पष्ट कर दिया कि दलीलें और जिरह 17 अक्टूबर तक पूरी हो जाएं। 17 नवंबर को उनका रिटायरमेंट हैं। इससे पहले फैसला आने की उम्मीद हैं।
सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकारों में रामलला विराजमान की तरफ से के. परासरन और सीएस वैद्यनाथन, निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से पीएन मिश्रा ने दलीलें रखीं। शिया वक्फ बोर्ड के वकील एमसी ढींगरा ने भी मंदिर के पक्ष में दलीलें दीं। वहीं, मुस्लिम पक्षकारों में सुन्नी वक्फ बोर्ड व अन्य की ओर से राजीव धवन, जफरयाब जिलानी, मीनाक्षी अरोड़ा, शेखर नाफड़े और मोहम्मद निजाम पाशा ने दलीलें रखीं।