महाराष्ट्र और हरियाणा Maharashtra- Haryana में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग समाप्त हो गई है। असल नतीजे तो 24 अक्टूबर को आएंगे लेकिन उससे पहले विभिन्न चैनलों के एग्जिट पोल Exit Polls में दोनों राज्यों में बीजेपी की वापसी की भविष्यवाणी की गई है। लोकसभा चुनाव के बाद पहली परीक्षा कहे जा रहे इन चुनावों में एनडीए गठबंधन अच्छे नंबरों से पास होता दिख रहा है। वहीं, कांग्रेस के लिए को दोनों राज्यों में नुकसान का अनुमान जताया गया है। सभी एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार का अनुमान जताया गया है जबकि हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार 2014 के मुकाबले ज्यादा बड़े बहुमत से सरकार बनाते दिख रहे हैं।
सभी सर्वे में दोनों ही राज्यों में साफ तौर पर बीजेपी की सत्ता में वापसी का अनुमान जताया गया है। महाराष्ट्र की 288 और हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार को मतदान हुआ है। दोनों ही राज्यों के नतीजे 24 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
महाराष्ट्र में 288 सीटों पर वोटिंग हुई। यहां बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत है। महापोल में बीजेपी गठबंधन को 213 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं। वहीं कांग्रेस गठबंधन को 61 सीटें मिलने का अनुमान है। जबकि अन्य के खाते में भी 14 सीटें जा सकती हैं।
यहां 2014 के नतीजों की बात करें तो उस दौरान बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। 2014 में बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिली थी। दोनों पार्टियों ने चुनाव के बाद गठबंधन कर सरकार बनाई थी। वहीं कांग्रेस को 42 और एनसीपी के खाते में महज 41 सीटें गईं थीं।
हरियाणा में कुल 90 सीटों पर चुनाव हुए हैं। यहां बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत है। महापोल के अनुमान की मानें तो राज्य में बीजेपी 63 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करेगी। वहीं कांग्रेस को महज 16 सीटों पर संतोष करना पड़ेगा। जबकि अन्य के खाते में 11 सीटें जा सकती हैं।
2014 में राज्य में बीजेपी ने पहली बार अपने दम पर सरकार बनाई थी। बीजेपी को 47 सीटें मिली थीं और सीएम का ताज संघ की पृष्ठभूमि वाले मनोहर लाल खट्टर के माथे सजा था। 2014 में कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं, जबकि क्षेत्रीय पार्टी आईएनएलडी को 19 सीटें मिली थीं।
आम चुनाव के कुछ ही महीनों बाद हुए इन चुनाव के नतीजे यदि बीजेपी के पक्ष में रहते हैं तो यह स्पष्ट है कि अब भी पीएम मोदी का मैजिक काम कर रहा है। बीजेपी ने इस चुनाव में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को मुद्दा बनाया था। दूसरी तरफ कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल दिशाहीन नजर आए।