Monday, April 21, 2025

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यूपीपीसीएल में कर्मचारी भविष्य निधि के निवेश में करोड़ों का घोटाला उजागर, सुधांशु त्रिवेदी और, पीके गुप्ता गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के कर्मचारी भविष्य निधि में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इस खुलासे के बाद से बिजली कर्मचारियों का भविष्य संकट में आ गया है। दरअसल यूपीपीसीएल ने अपने कर्मचारियों के भविष्य निधि के पैसे को सरकारी बैंक में न रखकर हाउसिंग फाइनेंस कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में डाला जो अब यह डूबने के कगार पर है।

जांच अधिकारियों के मुताबिक बिजली कर्मचारियों का 16 अरब डूब सकते हैं। कर्मचारियों के भविष्य निधि के साथ यह धोखाधड़ी यूपीपीसीएल के ट्रस्ट ने किया है। पुलिस ने इस मामले में यूपीपीसीएल के दो अफसरों निदेशक वित्त सुधांशु त्रिवेदी और महाप्रबंधक कॉमर्शियल पीके गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज है।

पुलिस ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में और भी कई बड़े अफसर शामिल हो सकते हैं। वहीं बिजली इंजीनियर संघ ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। पावर कॉर्पोरेशन कर्मचारियों के भविष्य निधि के निवेश में करोड़ों का घोटाले में पूर्व निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी व ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है। घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद पुलिस ने सुधांशु द्विवेदी को लखनऊ और प्रवीण कुमार गुप्ता को आगरा में गिरफ्तार कर लिया है। यह घोटाला मार्च 2017 से दिसंबर 2018 के बीच का है।

ट्रस्ट के सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता और तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी पर आरोप है कि उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट एवं उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट में जमा कार्मिकों के जीपीएफ व सीपीएफ की धनराशि को निजी संस्था में नियम विरुद्ध निवेश किया।

मामले के संज्ञान में आते ही मुख्यमंत्री के निर्देश पर शनिवार देर शाम मुकदमा दर्ज किया गया और चंद घंटों में ही कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

सरकारी ने प्रवक्ता ने बताया कि ट्रस्ट कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार प्रवीण कुमार गुप्ता सीपीएफ ट्रस्ट और जीपीएफ ट्रस्ट दोनों का कार्यभार देख रहे थे। उन्होंने तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी से अनुमोदन प्राप्त कर वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 2015 के आदेश को दरकिनार करते हुए भविष्य निधि फंड की 50 प्रतिशत से अधिक राशि को दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफसीएल) नामक निजी संस्था में निवेश कर दी। जबकि उक्त संस्था अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की श्रेणी में नहीं आती।

प्रारंभिक पड़ताल के दौरान ट्रस्ट कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखों से पता चला कि कर्मियों के सामान्य भविष्य निधि का 2631.20 करोड़ रुपये डीएचएफसी में निवेश किया गया। इसमें से 1185.50 करोड़ रुपए ट्रस्ट कार्यालय को प्राप्त हो चुके हैं और 1445.70 करोड़ रुपये मिलने जाना शेष है।

इसी तरह अंशदायी भविष्य निधि का 1491.50 करोड़ रुपये डीएचएफसी में निवेश किया गया था। इसमें से 669.30 करोड़ रुपये ट्रस्ट को मिल गए हैं जबकि 822.20 करोड़  रुपये प्राप्त होना अभी बाकी है। इस तरह 2267.90 करोड़ रुपए (मूलधन) डीएचएफसी से प्राप्त किया जाना बाकी है।
प्रवक्ता ने बताया कि दिसंबर 2016 में ट्रस्ट के सचिव महाप्रबंधक प्रवीण कुमार गुप्ता के प्रस्ताव पर तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और तत्कालीन प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा के अनुमोदित करने के बाद जीपीएफ व सीपीएफ धनराशि को पीएनबी हाउसिंग की सावधि जमा में निवेश किया जाना प्रारंभ किया गया था।इसी क्रम में ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता और तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी ने मार्च 2017 से बिना प्रबंध निदेशक व अध्यक्ष के संज्ञान में लाए जीपीएफ व सीपीएफ धनराशि डीएचएफसीएल लिमिटेड  में सावधि जमा के रूप में निवेश प्रारंभ कर दिया।

जानकारी के अनुसार 14 जनवरी 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद में कार्यरत सभी कार्मिकों को तीन कंपनियों उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड में स्थानांतरित किया गया।

इन तीनों कंपनियों के कर्मियों के जीपीएफ, पेंशनरी अंशदान और ग्रेच्युटी अंशदान के रख-रखाव के लिए प्रॉविडेंट फंड एक्ट 1925 के तहत 29 अप्रैल 2000 को उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्पलॉइज ट्रस्ट का गठन किया गया।

साथ ही उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सेवा में नियुक्त सभी कर्मिकों के भविष्य निधि के रख रखाव के लिए 25 जून 2006 को प्राविडेंट फंड एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट का गठन किया गया था।

पॉवर सेक्टर एम्पलॉइज ट्रस्ट में जमा भविष्य निधि की 2631 करोड़ रुपये की धनराशि डीएचएफसीएल में निवेश किए जाने पर बिजली कर्मचारी भड़क गए हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि ट्रस्ट में हुए अरबों रुपये के घोटाले की सीबीआई से जांच कराई जाए और घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन के आला अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। 

संघर्ष समिति ने सरकार से यह भी मांग की है कि ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जाए और उसमें पूर्व की तरह कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों ने साझा बयान में पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन से मांग की है कि ट्रस्ट में जमा धनराशि और उसके निवेश पर तत्काल एक श्वेतपत्र जारी किया जाए, जिससे यह पता चल सके कि कर्मचारियों की खून-पसीने की कमाई की धनराशि कहां-कहां निवेश की गई है।पदाधिकारियों ने कहा कि मार्च 2017 से दिसंबर 2018 के बीच डीएचएफ सीएल में 2631 करोड़ रुपये जमा किए गए। मार्च 2017 से आज तक ट्रस्ट की एक भी बैठक नहीं हुई। इस लिहाज से यह बहुत सुनियोजित और गंभीर घोटाला है। पॉवर कॉर्पोरेशन के  अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में अभियंता संघ ने कर्मचारियों के सामान्य भविष निधि (जीपीएफ) और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) से संबंधित धनराशि को निवेश करने के निर्णय पर सवाल उठाया है।

संघर्ष समिति का कहना है कि अभी भी 1600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि डीएचएफ सीएल में फंसी हुई है। सरकार यह पैसा वापस लाए। पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मिलकर मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels