अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ शनिवार को सुबह 10:30 बजे फैसला पढ़ना शुरू किया। संविधान पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े की याचिकाएं खारिज कर दीं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है। हालांकि, सीजेआई ने कहा कि अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। कोर्ट ने ASI की रिपोर्ट के आधार पर यह भी कहा है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी. साथ ही कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। अदालत ने कहा कि 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक 40 दिन तक हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- मीर बकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई। धर्मशास्त्र में प्रवेश करना अदालत के लिए उचित नहीं होगा।
- चीफ जस्टिस ने कहा- हम सर्वसम्मति से फैसला सुना रहे हैं। इस अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विवादित जमीन रेवेन्यू रिकॉर्ड में सरकारी जमीन के तौर पर चिह्नित थी। शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे पर था। इसी को खारिज किया गया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज किया। निर्मोही अखाड़े ने जन्मभूमि के प्रबंधन का अधिकार मांगा था।