प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करतारपुर गलियारे (Kartarpur Corridor) के रास्ते पाकिस्तान (Pakistan) के पंजाब प्रांत में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब (Gurdwara Darbar Sahib) जाने वाले 500 से अधिक भारतीय तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को शनिवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। पाकिस्तान के पंजाब में नारोवाल जिले में करतारपुर तक जाने वाले कॉरिडोर को गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर आज (शनिवार, 9 नवंबर) को खोल दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर यात्री टर्मिनल भवन का भी उद्घाटन किया जिसे एकीकृत जांच चौकी (आईसीपी) भी कहा जाएगा। तीर्थयात्री 4.5 किलोमीटर लंबे नवनिर्मित कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) से जाने के लिए यहीं से मंजूरी प्राप्त करेंगे, जो भारत के पंजाब में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे को करतारपुर स्थित दरबार साहिब से जोड़ेगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ने एक-दूसरे से मुलाकात की।
वहीं दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की भावनाओं का आदर करने के लिए पाकिस्तानी समकक्ष इमरान खान का शनिवार को आभार जताया। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव की 550वीं जयंती से पहले करतार साहिब कॉरिडोर के खुलने से काफी खुशी हुई है। पीएम मोदी ने करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह से पहले इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के उद्घाटन से पहले कहा, “गुरुद्वारा दरबार साहिब की यात्रा करना अब आसान होगा।”
यह कॉरिडोर पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से पाकिस्तान की सीमा में स्थित करतारपुर साहब गुरुद्वारा को जोड़ता है। उन्होंने कहा, “मैं कॉरिडोर के निमार्ण से जुड़े सभी लोगों का आभार प्रकट करता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत की भावनाओं को समझने, उसका आदर करने व तय समय सीमा के तहत करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण के लिए इमरान खान का भी आभार प्रकट करते हैं।
भगवा रंग की पगड़ी पहने मोदी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एजीपीसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि कॉरिडोर व इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट हर रोज हजारों लोगों को सेवाएं देंगे। मोदी ने कहा, “गुरु नानक देव की शिक्षाओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हो रहा है, जिससे की अगली पीढ़ी भी उससे समृद्ध हो। हमें गुरु नानक देव के उपदेशों को आत्मसात करना चाहिए, जो अभी भी प्रासंगिक है।”
उन्होंने कहा, “गुरु नानक देव से गुरु गोबिंद सिंह तक हर सिख गुरु ने देश की एकता, रक्षा व सुरक्षा के लिए प्रयास किया। इस परंपरा को सिखों द्वारा स्वतंत्रता संघर्ष और उसके बाद देश की रक्षा के लिए आगे बढ़ाया है।” उन्होंने गुरु नानक देव के संदेश के प्रसार में सहायता के लिए यूनेस्को का भी आभार जताया। इस मौके पर उन्होंने विशेष सिक्का व डाक टिकट भी जारी किया।