Saturday, September 21, 2024

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राजस्थान की सांभर झील में 15 दिनों में करीब 10 हजार विदेशी पक्षियों की मौत

राजस्थान की खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर में देशी-विदेशी पक्षियों की मौत का सिलसिला जारी है। 15 दिनों में करीब 10 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते तीन दिनों से जेसीबी से गड्ढा खोदकर पक्षियों को जमीन में दफनाया जा रहा है। कई मृत पक्षी कीचड़ में सड़ने लगे है। इससे दूसरे पक्षियों की भी सेहत बिगड़ने की शंका है।

बीकानेर अपेक्स सेंटर फॉर एनीमल डिजीज के प्रोफेसर ऐके कटारिया भी शुक्रवार सुबह सांभर पहुंचे। उनका अनुमान है कि पक्षियों के पंखों में लकवा के लक्षण भी मौत का कारण हो सकता है। इसकी वजह एविए बोटुलिज्म हो सकता है। इससे पहले गुरुवार को चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समेत कई बड़े अफसर और एक्सपर्ट मौके पर पहुंचे। उन्होंने 4800 पक्षियों के मरने की बात कही। मौके पर पहुंचे पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक, यह संख्या 10 हजार है।

पक्षियों की मौत मामले पर बुधवार को हाईकोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट में जवाब पेश किया। इसमें प्रवासी पक्षियों की मौत वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन समेत अन्य कारणों से होना बताया। लंबी यात्रा के दौरान पर्याप्त भोजन नहीं मिलना, प्रदूषण और कमजोरी को भी पक्षियों की मौत की वजह बताई गई है।

पक्षियों के मौत के तीन बड़े कारण हैं- पहला, जो पक्षी मरे, वो दलदल में दब गए हैं और उनमें कीड़े लगना शुरू हो चुका है। जिन्हें दूसरे पक्षी खाकर मर रहे हैं। पक्षियों की मौत का कारण बर्ड फ्लू नहीं है।
दूसरा, यह घटना ‘हाइपर नकट्रेमिया’ यानी पानी में सोडियम की अत्यधिक मात्रा होने के कारण नशा होने से हुई। वन विभाग के पास एक्सपर्ट, लैब और संसाधन ही नहीं है।
तीसरा कारण यह है कि जहां घटना हुई है, झील के उस क्षेत्र में पानी काफी लंबे समय से नहीं आया था। नमक काफी गाढ़ा हो गया। इस बारिश में यहां पानी आया तो इससे नमक जहरीला बन गया।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels