आगरा कॉलेज मैदान में शुक्रवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का चार दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू हुआ। राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस. सुब्बैया ने कहा कि साम्यवाद विचारधारा सौ फीसदी नकारात्मक है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एस सुब्बैया ने वामपंथियों पर हमला बोला है। राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान उन्होंने कहा कि वामपंथियों का सर्वनाश होगा।
जेएनयू में एक महिला अध्यापिका का अपमान किया गया।उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक महिला शिक्षक को 30 घंटे बिना शौचालय वाले कमरे में बंधक बनाकर रखा गया। महिला का अपमान करने वाले वामपंथी लोगों का सर्वनाश तय है। एबीवीपी इसके लिए प्रयास करेगा। डॉ. एस सुब्बैया ने कहा कि इस देश ने देखा है कि एक महिला के अपमान पर महाभारत युद्ध हुआ। अपमान करने वालों का सर्वनाश भी हुआ। यहां युद्ध भी धर्म के आधार पर हुआ था। भगवान राम का जन्म रावण का वध करने के लिए हुआ था। उन्हें भी 14 वर्ष का वनवास हुआ। यह उनके प्रयास को दर्शाता है। इसी तरह एबीवीपी भी संघर्ष करता रहेगा। उन्होंने नारा दिया, ‘आग में चलेंगे, मौत से लड़ेंगे, फिर भी महिला सम्मान में पीछे नहीं हटेंगे।’
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि देश में इस समय एतिहासिक मोड़ आया है। राष्ट्र के आदर्श प्रभु श्रीराम का मंदिर अयोध्या में बनने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया है। यह दोनों निर्णय मील के पत्थर हैं।
उन्होंने कहा कि भारत एक आध्यात्मिक देश है। राम के बाण की हुंकार, भगवान कृष्ण का शंखनाद, भगवान शंकर का तांडव जनमानस को रोमांचित करता है।
डॉ सुब्बैया संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक में बोल रहे थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का राष्ट्रीय अधिवेशन आगरा में हो रहा है।
राष्ट्रीय महामंत्री आशीष चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति जल्द आनी चाहिए। एबीवीपी ही ऐसा संगठन है, जिसने ड्राफ्ट तैयार करने वाली समिति से तीन बार मुलाकात करके अपने सुझाव दिए।
उन्होंने कहा कि आवासीय परिसर में संचालित संस्थानों के पाठ्यक्रम में सेमेस्टर व्यवस्था लागू की जा सकती है। जहां शिक्षक व विद्यार्थी रहते भी हों। ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में बीए, बीएससी व बीकॉम जैसे पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर प्रणाली नहीं होनी चाहिए। छुट्टी और परीक्षा कार्यक्रम में समय बीत जाएगा। पढ़ाई नहीं हो पाएगी। एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने बातचीत में कहा कि देश के युवा सभी क्षेत्रों में योगदान दें। खासतौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए कृषि कॉलेजों पर फोकस बढ़ाना होगा।
स्कूली शिक्षा में कृषि पाठ्यक्रम को प्रमुखता देनी होगी। कृषि कार्य को प्रतिष्ठित न माने जाने की सोच को परिवर्तित करना होगा। एबीवीपी के कार्यकर्ता अनुभूति नाम से कार्यक्रम चला रहे हैं। इससे विद्यार्थी गांवों से जुड़ रहे हैं।
इसमें अधिवेशन में जिन मुद्दों पर चर्चा होनी है, उसके प्रस्ताव रखे जा चुके हैं। इसमें राम जन्मभूमि, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने, विश्वविद्यालयों में शिक्षा के स्तर, एनआरसी लागू करने जैसे विषयों पर चर्चा के लिए प्रस्ताव रखे गए।
एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस. सुब्बैया ने कहा कि यह संगठन छात्रहित, समाज हित और राष्ट्र हित के लिए काम करता है। छात्रहित के मुद्दों पर संगठन वामपंथियों के भी साथ है। जेएनयू में फीस वृद्धि का एबीवीपी ने भी पुरजोर विरोध किया।
जब देश विरोधी नारे लगने लगे तो संगठन ने खुद को अलग कर लिया। अभी भी संगठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की मांग संगठन लगातार कर रहा है।
उन्होंने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग रखी गई है। कहा, सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की, जरूरत पड़ने पर संघर्ष भी किया जाएगा।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने कहा कि एबीवीपी के दल ने पूर्वोत्तर के सात राज्यों में जाकर अध्ययन किया है, उसकी रिपोर्ट भी अधिवेशन में रखी जाएगी। आईआईटी के छात्र भी संगठन से जुड़े हैं। इनका अधिवेशन कराने पर विचार होगा। इस वर्ष कई प्रांत अधिवेशन होने हैं, उसकी रूपरेखा भी तैयार की जाएगी।
जेएनयू में अध्यापिका का अपमान पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले वामपंथियों का होगा सर्वनाश