Thursday, July 04, 2024

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ABVP राष्‍ट्रीय अधिवेशन:आरबीआई केंद्रीय बोर्ड में निदेशक सतीश मराठे बोले- आर्थिक मंदी नहीं सुस्‍ती का दौर

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 65वें राष्ट्रीय अधिवेशन में रविवार को ‘रोजगार परिदृश्य एवं संभावनाएं’ विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया। इसमें अर्थशास्त्री व जेएनयू के शिक्षक डॉ. संतोष मेहरोत्रा और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड में निदेशक सतीश मराठे ने विचार रखे।

सतीश मराठे का कहना था कि ये आर्थिक मंदी नहीं बल्कि आर्थिक सुस्‍ती का दौर है। विश्‍व में भले ही मंदी का दौर चल रहा है लेकिन भारत की अर्थ व्‍यवस्‍था खराब नहीं है।

सतीश मराठे ने शिक्षा के साथ कौशल विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्व भर में नौकरियां 20 फीसदी से ज्यादा नहीं है। नौकरियों में रोजगार की ज्यादा संभावनाएं नहीं है। इस पर सोचने की जरूरत है और स्वरोजगार का रुख करना होगा।

उन्होंने कहा कि विद्यालयों में पढ़ाई के छात्र-छात्राओं का कौशल विकास करना होगा। युवाओं को अपने व्यवहार में भी रोजगार की मांग करने अनुरूप परिवर्तन लाना होगा। रोजगार के तमाम अवसर मिलेंगे। फूड प्रोसेसिंग, डेयरी इंडस्ट्री में रोजगार अपार संभावनाएं हैं। एमएसएमई में बहुत रोजगार दे सकती है। मार्च 2019 तक 80 लाख रजिस्ट्रेशन संगठित व असंगठित क्षेत्र में हुए हैं।

सतीश मराठे ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति खराब नहीं है। आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कुछ सुस्त है, इसे तेज करने की जरूरत है। छह वर्षों में देश ने एक भी रुपये का लोन नहीं लिया है। उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि नहीं हो रही है, यह चिंता विषय है। विश्व बाजार से देश के उद्योगपति व कारोबारी डरे हुए हैं। इन्हें प्रतियोगिता बढ़ने का डर है। इंडस्ट्री लगा नहीं रहे।

उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों को निवेश करना चाहिए, इससे उनकी आय और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सरकार के मेक इन इंडिया का असर दिखाई दे रहा है। देश में ट्रेन के डिब्बे और मोबाइल के सामान का निर्माण बढ़ा है। आने वाले दिनों में मोबाइल के सामान का देश से निर्यात होगा।

डॉ. संतोष मेहरोत्रा ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने और युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए सरकार को औद्योगिक नीति को जल्द लागू करना चाहिए। इसके साथ रोजगार नीति भी लानी चाहिए। दोनों के बीच समन्वय स्थापित किया जाए।

उन्होंने डेमोग्राफिक डिविडेंट (जनसांख्यिकी लाभांश) पर प्रकाश डाला। कहा कि इसमें निर्भर जनसंख्या कम और काम करने वाले अधिक होते हैं। हर देश में यह अवस्था आती है। भारत में 1980 के दशक से यह स्थिति आई है। आगामी 20 वर्ष तक यह स्थिति और रहने वाली है।

उन्होंने कहा कि सरकार व देश के युवाओं के लिए यह सुनहरा मौका है। रोजगार के अवसर विकसित कर अधिक से अधिक काम किया जाना चाहिए। इससे आय बढ़ेगी और बचत भी। बचत वे निवेश और विकास दर बढ़ाने का अवसर है।

एक वर्ष का समय गंवाना भी पीढ़ियों के लिए घातक हो सकता है। युवाओं को गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार का अवसर मिलना जरूरी है। कृषि में करीब 20 करोड़ लोग लगे हैं। जीडीपी का 14 फीसदी ही उत्पादन कृषि से होता है।


Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels