नागरिकता संशोधन बिल Citizenship Amendment Bill सोमवार को लोकसभा में पास हो गया। बिल के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े। इस पर करीब 14 घंटे तक बहस हुई। विपक्षी दलों ने बिल को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया। गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब में कहा कि यह बिल यातनाओं से मुक्ति का दस्तावेज है और भारतीय मुस्लिमों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। शाह ने कहा कि यह बिल केवल 3 देशों से प्रताड़ित होकर भारत आए अल्पसंख्यकों के लिए है और इन देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, क्योंकि वहां का राष्ट्रीय धर्म ही इस्लाम है।
शाह ने कहा- शरणार्थियों और घुसपैठियों के बीच अंतर को स्पष्ट करना जरूरी है। अपने धर्म, बहू-बेटियों की रक्षा के लिए भारत में शरण मांगने वाला शरणार्थी है, घुसपैठिया नहीं। गैरकानूनी तरीके से देश में घुसने वाला घुसपैठिया है। हम एनआरसी भी लाएंगे, देश में एक भी घुसपैठिया नहीं बचेगा। वोटबैंक की राजनीति करने वालों के मंसूबे हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे।
शाह ने कहा कि यह बिल किसी भी तरह से अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। बिल में कहीं भी मुस्लिमों का जिक्र नहीं है। अगर कांग्रेस धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो नागरिकता बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती।अगर समानता का कानून होगा तो अल्पसंख्यक के लिए विशेषाधिकार कैसे होंगे? उन्हें जो शिक्षा और अन्य चीजों का अधिकार मिला है, क्या उसमें आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं होता? जितने भी अनुच्छेद के उल्लंघन की बात की गई हैं, उन्हें ध्यान में रखकर ही बिल ड्राफ्ट हुआ है।शाह ने कहा कि अगर 3 पड़ोसी देशों से कोई मुस्लिम धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर नागरिकता की मांग करेगा, तो हम खुले मन से विचार करेंगे।