गाजियाबाद (Ghaziabad ) के लोनी(Loni constituency ) से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक नंद किशोर गुर्जर (Nand Kishor Gurjar ) ने अपनी सरकार के नो-करप्शन के दावे की पोल खोल दी।विधानसभा सत्र के दौरान विधायक नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि अधिकारी खुलकर कमीशन ले रहे हैं।
भाजपा सरकार द्वारा अनदेखी किए जाने से नाराज विधायक नंद किशोर गुर्जर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ईमानदार हैं लेकिन अफसरों व मंत्रियों की पत्नी की संपत्ति की जांच करवाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अफसर कमीशन लेना अपना जन्म सिद्घ अधिकार समझते हैं। हमारे यहां 18 से 22 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है। अधिकारी कहते हैं हम भाजपा सरकार में चार प्रतिशत कम कमीशन लेते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की पत्नियों के एनजीओ की भी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि गाजियाबाद में माफियाओं का बोलबाला है। मैंने कभी भी किसी अधिकारी से काम नहीं लिया। बेईमानी की जो पुरानी परंपरा चली आ रही है वह बंद होनी चाहिए।
मंगलवार को देर शाम राजधानी लौटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना और उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से विधानसभा की घटनाओं के बारे में जानकारी ली। भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर की समस्या को सुना और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। गुर्जर ने अपनी पीड़ा सुनाते हुए अपने क्षेत्र के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मनमानी की शिकायत भी दर्ज कराई
।भाजपा विधायक का कहना था कि जनप्रतिनिधियों से भी सम्मानजनक व्यवहार नहीं होता है। मुख्यमंत्री ने सदन में घटित घटना को लेकर नाराजगी जताई तो गुर्जर ने कहा कि उन्होंने केवल अपनी बात के लिए समय मांगा था। वह सदन के भीतर अपनी पीड़ा बयां करना चाहते थे क्योंकि उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। इस मौके पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के अलावा गन्ना मंत्री सुरेश राणा, विधायक सुनील शर्मा, योगेश धामा व अजितपाल त्यागी भी मौजूद थे।
यूं तो विपक्ष के कारण अक्सर ही विधानसभा सदन की कार्यवाही स्थगित होती रही है, लेकिन मंगलवार को पहली बार सत्ता पक्ष के विधायकों के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी। पुलिस उत्पीड़न पर अपनी बात कहना चाह रहे गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से विधायक नंद किशोर गुर्जर के समर्थन में उनकी पार्टी के विधायक तो आए ही, विपक्ष भी साथ खड़ा हो गया। अंतत: विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सदन स्थगित होने के बावजूद भाजपा व विपक्ष के करीब 200 विधायक सदन में ही डटे रहे।