प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी PM Narendra Modi ने स्वामी विवेकानंद Swami Vivekananda की जयंती पर रविवार को हावड़ा के बेलूर मठ Belur Math में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह को संबोधित किया। इसके पहले यहां उन्होंने मुख्य मंदिर में दर्शन-पूजन किया। उन्होंने सुबह की आरती में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने सन्यासियों के साथ मंत्रोच्चार भी किया।
इसके पहले उन्होंने स्वामी रामकृष्ण परमहंस एवं मां शारदा के दर्शन के बाद मुख्य मंदिर में ध्यान लगाया। संन्यासियों के साथ पीएम मोदी मठ के विभिन्न जगहों पर गए। उन्होंने सन्यासियों एवं विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं से आए छात्र-छात्राओं से कुछ पल बातचीत की। बेलूर मठ में पीएम मोदी को कमीज़ और धोती में देखा गया। प्रधानमंत्री अपने दो दिवसीय कोलकाता दौरे के दौरान शनिवार रात को बेलूर मठ में ठहरे।
मठ प्रांगण से देश को संबोधित करने की घटना पहली बार है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में देश के युवाओं को नए भारत के निर्माण में सक्रिय योगदान के लिए प्रेरित किया।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर कथित रूप से विपक्षी दलों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों को दूर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह अधिकार देने का कानून है अधिकार लेने का नहीं।
स्वामी विवेकानंद की जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि देश के युवाओं और अन्य नागरिकों को शुक्रवार को लागू हुए सीएए पर गुमराह किया जा रहा है। यह कानून 11 दिसंबर को संसद में पारित हुआ था।बेलूर मठ में युवाओं को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “सीएए नागरिकता देने का कानून है, यह किसी की नागरिकता छीनता नहीं है। सरकार कानून के माध्यम से नागरिकता दे रही है, यह किसी की नागरिकता छीन नहीं रही है।”
पीएम मोदी ने मठ में मौजूद लोगों से पूछा कि क्या भारत आए शरणार्थियों को मरने के लिए छोड़ देना चाहिए, क्या उन्हें लेकर हमारी जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इतनी स्पष्टता के बावजूद, कुछ लोग सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। मुझे खुशी है कि आज का युवा ही ऐसे लोगों का भ्रम भी दूर कर रहा है।
उन्होंने राजनीतिक दलों के नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि आप जैसे युवा सीएए की बात को समझ गए हैं, लेकिन राजनीति का खेल खेलने वाले इसे नहीं समझना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीएए उन शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करता है, जिन्हें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न सहना पड़ा।
उन्होंने कहा, “भारत के संविधान में विश्वास करने वाले किसी भी व्यक्ति को निश्चित कानूनी प्रक्रियाओं के बाद नागरिकता प्रदान कर दी जाएगी।”
उन्होंने कहा कि सरकार महात्मा गांधी के बताए मार्ग पर चल रही है और नया नागरिकता कानून उत्पीड़न के शिकार शरणार्थियों को नागरिकता देने के बारे में है।
सीएए पर प्रधानमंत्री मोदी का बयान इस कानून के खिलाफ देशभर के विभिन्न शहरों में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद आया है। उन्होंने युवाओं से भी लोगों के मन से इस संबंध में अफवाहों को दूर करने का आवाह्न किया।
यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का शिकार होने के बाद 31 दिसंबर 2014 से पहले से भारत में शरणार्थी बनकर रहने वाले छह गैर-मुस्लिम समुदायों- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को नागरिकता प्रदान करने के बारे में है।