प्रयागराज माघ मेला-2020 (Prayagra Magh Mela 2020) के प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए शुक्रवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। भोर में तीन बजे स्नान से घंटा-घडिय़ाल और शंखनाद के साथ शुरू हुए स्नान का सिलसिला शाम तक जारी है। मेला प्रशासन ने दावा किया कि शाम साढ़े पांच बजे तक लगभग एक करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। देर शाम भी श्रद्धालुओं का आना लगा रहा। इस दौरान सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थे। मेला क्षेत्र में हाई अलर्ट घोषित किया गया है।प्रशासन की पहल पर हेलीकाप्टर से श्रद्धालुओं और संत महात्माओं पर पुष्प वर्षा भी की गई
माघ मेला प्रशासन का दावा है कि प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर दोपहर तीन बजे तक 65 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। शुक्रवार भोर में पुण्यकाल से ही स्नानार्थी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में डुबकी लगानी शुरू कर चुके थे। स्नान के बाद पूजन और दान किया। वहीं श्रद्धालु भीड़ संगम स्नान को रेलवे स्टेशन व बसों से उतरकर अभी भी संगम की ओर जा रहे हैं। माघ मेला में सुरक्षा का तगड़ा प्रबंध है। हाई अलर्ट में मेला क्षेत्र है।
करीब 2500 हेक्टेयर क्षेत्र में बसे मेले में आवागमन के लिए बनाए गए सभी पांच पांटून पुलों पर आने-जाने वालों की लंबी कतारें सुबह से ही देखने को मिल रही है। शिविरों से लेकर संगम की रेती तक हरतरफ श्रद्धालुओं का तांता नजर आने लगा है। शुक्रवार भोर से मौनी अमावस्या पर देश-दुनिया के श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं।
माघ महीने में अनेक तीर्थों का समागम होता है, वहीं पद्मपुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं। यही कारण है कि प्राचीन ग्रंथो में नारायण को पाने का सुगम मार्ग माघ मास के पुण्य स्नान को बताया गया है, विशेषकर मौनी अमावस्थ्य को किया गया गंगा में स्नान खास महत्व का माना गया है।
मेले में स्नान के लिए 18 घाटों पर सुगम स्नान के प्रबंध किए गए हैं। सभी घाटों पर जल पुलिस के जवानों के साथ एनडीआरएफ और पुलिस के अलावा निजी गोताखोर की रेस्क्यू टीम तैनात है,जिससे किसी भी तरह की स्थिति से समय रहते निबटा जा सके।