दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान से पहले सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) को असहज करने वाली परिस्थितियां पैदा हो रही हैं। पहले शाहीन बाग में फायरिंग करने वाले कपिल गुर्जर का आप कार्यकर्ता होने की बात सामने आना, फिर उप-मुख्यमंत्री और पार्टी के दूसरे नंबर के नेता मनीष सिसोदिया के ओएसडी की रिश्वत लेते गिरफ्तारी के झटकों से पार्टी उबर भी नहीं पाई कि अब उसपर झूठा प्रचार करने का आरोप लग गया।
आप (AAP) और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पर झूठ बोलने का आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि उस कॉलमिस्ट ने ही लगाया है जिनके लेख का हवाला देकर दावा किया गया है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ऐसा विकास किया कि वॉशिंगटन पोस्ट (Washington Post ) जैसे प्रतिष्ठित अखबार अमेरिका को भी इससे सीखने का सुझाव दे रहे हैं।
दरअसल, आम आदमी पार्टी ने आज ही अपने ट्विटर हैंडल पर एक विडियो ट्वीट कर यह दावा किया। लेकिन, इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए उसी लेख के लेखक ने आप के दावे को झूठ बता दिया। वॉशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार विवेक वाधवा ने रीट्वीट में अरविंद केजरीवाल और वॉशिंगटन पोस्ट को टैग करते हुए लिखा, ‘मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विज्ञापनों में झूठ के प्रदर्शन से दुखी हूं। वॉशिंगटन पोस्ट में हेल्थक्यूब360 को लेकर प्रकाशित मेरे आर्टिकल को गलत तरीके से पेश किया गया और मोहल्ला क्लिनिक के बारे में झूठे दावे किए गए।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘उनके स्वास्थ्य मंत्री ने मेरे हवाले से साफ-साफ झूठ बोला।’
I am disglusted with the dishonesty of ads by Delhis chief minister @ArvindKejriwal. Misrepresent my @washingtonpost article about @HealthCube360 and make false claims about the Mohalla/Peoples clinics.
I was clearly lied to by his health minister: https://t.co/S3k1InVCcw https://t.co/wmlb1hm6lz
— Vivek Wadhwa (@wadhwa) February 7, 2020
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उन्होंने ट्वीट के साथ एक लिंक भी शेयर किया जिसमें मोहल्ला क्लीनिक में ‘घोटाले’ के खुलासे की खबर है। तीन साल पहले की इस खबर के शीर्षक में कहा गया है कि निगरानी जांच में पता चला कि डॉक्टर एक महीने में दो-दो मरीज का इलाज कर रहे हैं। विवेक यहीं नहीं रुके और पोस्ट के नीचे कॉमेंट में भी लिखा, ‘Disgusted (घृणित)।
गौरतलब है कि वॉशिंगटन पोस्ट के जिस आर्टिकल को केजरीवाल सरकार पर झूठ बोलने का लेखक ने ही आरोप लगाया है, वह 11 मार्च, 2016 को प्रकाशित हुई थी। इसका शीर्षक था, What New Delhi’s free clinics can teach America about fixing its broken health care system (नई दिल्ली के मुफ्त क्लिनिक्स अमेरिका को अपना हेल्थकेयर सिस्टम सुधारने की क्या सीख दे सकते हैं)।