Friday, September 20, 2024

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वरिष्ठ पत्रकार का खुलासा, दिल्ली दंगों पर 1000 शब्दों की फेक न्यूज के लिए 1500 अमेरिकी डॉलर का ऑफर

भारत विरोधी ताकतें  भारत विरोधी खबरों को किस कदर प्लांट किया जाता है विदेशी मीडिया (foreign media) में, उसके मोडस ऑपरेंडी को कल यानी शनिवार को द पायनियर( The Pioneer) के वरिष्ठ पत्रकार (Senior journalist)    जे गोपीकृष्णन ( J Gopikrishnan )  ने एक ट्वीट कर सबके सामने खोल कर रख  दिया है।वरिष्ठ पत्रकार ने अपने ट्वीट में खुलासा किया कि किस तरह एक अमेरिकी अखबार ने उन्हें दिल्ली के  दंगों (Delhi riots )   में हुई मौतों को सांप्रदायिक आधार पर रिपोर्ट करता एक 1000 शब्द का आर्टिकल लिखने के लिए 1500 अमेरिकी डॉलर (लगभग 1 लाख 10 हजार रुपए) का ऑफर किया। ध्यान रहे कि यह दंगा ठीक उसी समय भड़काया गया था, जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के दौरे पर थे। खोल कर रख दिया है।

 

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अपने ट्वीट में जे गोपीकृष्णन ने हिन्दू विरोधी/भारत द्रोही एजेंडे की कलई खोलते हुए इन अमेरिकी बेस्ड लेफ्टिस्ट मीडिया संगठनों को ‘रास्कल्स’, ‘क्रुक्स’ कहा। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इन मीडिया संगठनों को ‘प्रेस्टिट्यूट्स’ कहना भी जायज ठहराया।

गोपीकृष्णन यहीं नहीं रुके। उन्होंने उन भारतीय पत्रकारों को भी लताड़ लगाई, जो कुछ सौ डॉलर्स के लिए अपनी आत्मा बेचते घूमते हैं।

उन्होंने आगे एक और घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मार्च 2012 में जब 2-जी स्कैम सामने आया था, उस वक्त भी एक नॉर्वे बेस्ड अखबार ने उन्हें uninor के पक्ष में रिपोर्ट लिखने के लिए 25000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 18 लाख रुपए) की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था।

गोपीकृष्णन इस मामले पर से और पर्दा हटाते हुए कहते हैं कि जब उन्होंने अपनी कलम गिरवी रखने से मना कर दिया तो देखते हैं कि ठीक उसी ब्रीफ के साथ जिस पर उन्हें लिखने को कहा गया था, वह स्टोरी इकॉनमिक टाइम्स में छपती है, और उसी के हवाले से नॉर्वे के तत्कालीन नेता प्रधानमंत्री को लिखते हैं कि भारत का सिस्टम विदेशी कंपनियों को सुचारु रूप से काम करने में किस तरह से अवरोध पैदा करता है।

गोपीकृष्णन की बात को सामने रखते हुए जरा उन सारी रिपोर्ट्स को याद करिए, जो मौके-बेमौके भारतीय पत्रकारों द्वारा विदेशी मीडिया के लिए लिखी जाती रही हैं। वो चाहे बरखा दत्त की रिपोर्टिंग हो या राणा अय्यूब नामक प्रोपोगैंडिस्ट का लेख, जो दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों को मुस्लिम नरसंहार कहती है या वॉल स्ट्रीट जर्नल की वह रिपोर्ट, जिसमें मुस्लिम आतंकी भीड़ द्वारा आईबी के अंकित शर्मा की 400 बार चाकू गोद कर की गई हत्या और शव नाले में फेंक देने की जगह, हिन्दू भीड़ को ही अंकित शर्मा की हत्या का दोषी ठहरा दिया जाता है। और जिसकी वजह से वॉल स्ट्रीट जर्नल के खिलाफ एफ़आईआर  भी दर्ज की जाती है।

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Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels