Monday, April 21, 2025

Health, Law, Maharashtra, News, Politics, Uncategorized

मुंबई में लॉकडाउन की धज्जियां, सड़कों पर हजारों की भीड़ किस के इशारे पर ?

जिस राज्य महाराष्ट्र Maharashtra  में कोरोना वायरस Coronavirus का कहर सबसे ज्यादा है। अब तक दो हजार से ज्यादा पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं और 160 लोगों की मौत हो चुकी है। वहां  लाॅकडाउन तोड़  lockdown breach कर हजारों की तादाद में लोग जुट जायें वह भी वह भी जामा मस्जिद के सामने मुंबई पुलिस Mumbai Police  कमिश्नर के दफ्तर के बगल मे । यह तभी हो सकता है  जब राज्य सरकार किसी स्तर  पर इशारा मिला हो । मुंबई Mumbai की बांद्रा Bandra  की  घटना  ने  कई सवाल खड़े कर दिये है। जिन्हें प्रवासी मजदूर बता कर  प्रचारित किया जा रहा है वह कोई और है जिनकी कमान  किसी ओर के हाथ में रहती है ।

24 मार्च को तीन सप्ताह के लिए लॉकडाउन की घोषणा से दिल्ली में मजदूरों के बीच घर वापसी की मची होड़ के बाद किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि ऐसा नजारा फिर कहीं देखने को मिलेगा। लेकिन, आज लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने की घोषणा हुई तो फिर वही तस्वीर सामने आई। हां, इस बार इलाका दिल्ली का नहीं, मुंबई का था।

मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन  Mumbai’s Bandra railway station  के पास मंगलवार शाम सैकड़ों की भीड़ उमड़ पड़ी। बताया जा रहा है कि ये लोग प्रवासी मजदूर हैं जो अपने घर लौटने की आस में अफवाह के शिकार हो गए। ऐसे में सवाल कई सवाल उठने लगे हैं और इन सवालों की जद में शासन-प्रशासन से लेकर राज्य सरकार और तमाम एजेंसियां आ गई हैं जिन पर इस तरह की अफवाहों पर समय रहते काबू पाने की जिम्मेदारी होती है

बीजेपी सांसद पूनम महाजन का कहना है कि लोगों के पास मेसेज किया गया था कि यहां से ट्रेन मिलेगी। आखिरकार ये मेसेज किसने किया और मुंबई पुलिस को इसकी भनक क्यों नहीं लगी?मान लिया कि ये सब प्रवासी मजदूर थे और राशन पानी की उचित व्यवस्था न होने के चलते ये लोग अपने घरों की ओर जाना चाहते थे। मगर घर जाने वाले मजदूरों की भीड़ में किसी के भी पास बड़े बैग, थैले, सामान क्यों नहीं थे? क्या इनके घर लौटने की जिद का दावा झूठा है, बात कुछ और है?

लॉकडाउन के बाद ये भीड़ जामा मस्जिद के सामने ही क्यों इकट्ठा हुई और अगर हुई भी तो पुलिस को इसकी सूचना क्यों नहीं मिल पाई? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र इतना कमजोर होता है कि हजारों की भीड़ इकट्ठा हो जाए और उसे पता ही न चले?

कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने आज सुबह लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने की घोषणा की तो ये मजदूर हताश हो गए और घरों के लिए निकल पड़े। सवाल यह है कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने पहले ही 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर दिया था। तब मजदूर हताश क्यों नहीं हुए? क्या लॉकडाउन हटने का डेट महज 3 दिन आगे बढ़ने से मजदूरों में इतनी मायूसी बढ़कर गई कि वो घर जाने की जिद पर उतारू हो गए?

जानकार बताते हैं कि बांद्रा में न तो इतने प्रवासी मजदूर हैं और न ही बांद्रा रेलवे स्टेशन से बहुत ज्यादा ट्रेनें यूपी बिहार के लिए जाती हैं। यूपी बिहार के लिए सबसे ज्यादा ट्रेनें कुर्ला और लोकमान्य तिलक स्टेशन से जाती हैं। फिर इन लोगों को किसने कहा कि ट्रेन बांद्रा से खुलेंगी? अगर किसी ने नहीं कहा तो ये लोग यहां कैसे इकट्ठा हुए?

बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने भीएक निजी न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कुछ बड़े तथ्य सामने रखे थे। उन्होंने कहा, ‘यह प्रशासनिक विफलता का जीवंत उदाहरण है। पुलिस कमिश्नर का दफ्तर बगल में है। खुद मुख्यमंत्री एक-डेढ़ किमी की दूरी पर रहते हैं। ऐसी जगह पर अचानक 15 हजार लोग आ जाते हैं तो ये दृश्य आश्चयर्जनक है।’ उन्होंने भी कहा कि बांद्रा में प्रवासी मजदूरों की संख्या कम है। ये पुरानी बस्ती है। ये 70 में बसी थी। उन्होंने पूछा, ‘पहले यहां स्लॉटर हाउस था। यहां प्रवासी मजदूर कहां से आए? इसका जवाब सरकार को देना होगा।’


Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels