राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ( RSS Chief Mohan Bhagwat) ने महाराष्ट्र के पालघर (Palghar) में दो संतों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसा होना चाहिए? क्या किसी को कानून-व्यवस्था अपने हाथ में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस को क्या करना चाहिए था? पुलिस क्या कर रही थी? यह सब कुछ सोचना है।
कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण संघ के ऑनलाइन बौद्धिक वर्ग में भागवत ने कहा कि पालघर में सन्यासियों की हत्या हुई, पीट पीटकर मार डाला गया, निरउपद्रवी लोग थे, किसी का कोई अपराध उन्होंने किया नहीं था। धर्म का आचरण करने वाले, धर्म का आचरण फैलाने वाले, मानव पर उपकार करने वाले लोग थे। उसका दुख हम सबके मन में है।
भागवत ने कहा कि 28 तारीख को उनको श्रद्धांजलि देने के लिए हिंदू धर्म आचार्य सभा ने कुछ आह्वाहन भी किया है। विश्व हिंदू परिषद ने कोई कार्यक्रम भी दिया है, उसका हम सब पालन करेंगे। उनकी स्मृति में अपना श्रद्धांजलि व्यक्त करता हुआ इस विषय में मैं आगे बढ़ता हूं।
संघ प्रमुख ने कहा कि अगर कोई डर से या क्रोध से कुछ उलटा सीधा कर देता है तो सारे समूह को उसमें लपेटकर उससे दूरी बनाना ठीक नहीं है। उनका इशारा तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat ) और उसके जलसे की तरफ था। मोहन भागवत ने कहा कि भड़काने वालों की कमी नहीं है और इसका लाभ लेने वाली ताकतें भी हैं। जिस तरह कोरोना का फैलाव अपने देश में हुआ है उसकी एक वजह यह भी है।
उन्होंने कहा कि भारत तेरे टुकड़े होंगे ऐसा कहने वाले ऐसा प्रयास करते हैं, राजनीति भी बीच में आती है। इनसे बचना है। सावधान रहना है। हमारे मन में प्रतिक्रिया वश कोई खुन्नस नहीं होनी चाहिए। भारत के सभी लोग भारत माता के पुत्र हैं हमारे बंधु हैं। अपने अपने समाज के प्रमुखों को अपने लोगों को यह समझाना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने पालघर में दो संतों की हत्या (Palghar Saint Lynching Case) पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसा होना चाहिए? उन्होंने कोई अपराध नहीं किया था, उन्हें पीट पीटकर मार डाला गया। उसका दुख हम सबके मन में है।