आंध्र प्रदेश(andhra-pradesh ) के विशाखापट्टनम में हुई गैस लीक (Visakhapatnam gas leak tragedy ) ट्रेजडी से नुकसान का अंदाजा अभी लगना मुश्किल है। घटनास्थल से जो रिपोर्ट्स आ रही हैं, उसके मुताबिक, कई घरों से लोगों को दरवाजे तोड़कर निकालना पड़ा है। राहत और बचाव के काम में लगी टीमें लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने में जुटी हैं। केमिकल प्लांट के तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों से लोगों को निकाला जा रहा है। हो सकता है इससे ज्यादा एरिया को भी खाली कराना पड़े। पूरा मंजर इतना भयावह था कि 1984 भोपाल गैस ट्रेजडी की यादें ताजा हो गईं। वैसा ही खौफ, वैसी ही बदहवासी देखने को मिल रही है।
यह गैस साउथ कोरियन ( South Korea) कंपनी एलजी पॉलिमर्स के प्लांट( LG polymer plant ) से लीक हुई। इस प्लांट में पॉलिस्टीरीन बनाई जाती है यानी ऐसी प्लास्टिक जिसका खिलौनों, तमाम उपकरणों, इलेक्ट्रिक फैन के ब्लेड्स से लेकर कप, कल्टरी और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स को रखने वाले कंटेनर जैसी चीजों को बनाने में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। प्लांट में स्टीरीन गैस का इस्तेमाल इसी प्लास्टिक को बनाने के लिए हो रहा था। यह प्लांट विशाखापत्तनम शहर के बाहरी हिस्से में स्थित है।
गुरुवार सुबह,(Visakhapatnam gas leak tragedy ) प्लांट के आसपास कई जगहों पर लोग बेहोश पड़े दिखे। सड़क किनारे मृत मवेशी भी नजर आए। बच्चों को कंधे पर रखकर घबराए लोग अस्पतालों की ओर भागे। भर्ती हुए मरीजों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं। मौके पर मौजूद रहे लोगों के मुताबिक, रात करीब तीन बजे अचानक सांस लेने में तकलीफ, भयानक खुजली और आंखों में जलन महसूस होनी शुरू हुई। दहशत में आकर लोग अपने घरों से बाहर भागे, लेकिन हवा जहरीली हो चुकी थी। केमिकल यूनिट के आसपास के 3 किलोमीटर के दायरे में इलाके के लोगों को वहां से हटाया गया है। करीब 8 हजार लोगों को अपना घर खाली करना पड़ा है। उनके लिए भोजन सहित अन्य सभी व्यवस्था की गई है।
घटनास्थल के आसपास से लोगों को निकालने का काम जारी है। अभी तक 11 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है। लोग दम घुटने पर बाहर की ओर भागे। जो तस्वीरे-वीडियो सामने आए हैं, वह बेहद खौफनाक हैं। सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत के सैकड़ों मरीज अस्पताल पहुंचाए गए हैं। तीन किलोमीटर के दायरे में पांच गांव इस गैस लीक से प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि गैस वातावरण में कहां तक फैलेगी, यह हवा की गति पर निर्भर करता है। ऐसे में आशंका है कि इस गैस लीक कांड से पीड़ितों की संख्या बढ़ सकती है। अधिकारियों के मुताबिक, स्टाइरीन ( Styrene ) जैसी जहरीली गैस इस दुर्घटना की वजह बनी।
मरने वालों में एक आठ साल की बच्ची भी शामिल है जबकि प्रभावित लोगों को निकालने के लिए गए कई पुलिसकर्मी भी इससे प्रभावित हुए हैं। गांव से भागने के दौरान दो लोग एक बोरवेल में गिर पड़े जिससे उनकी मौत हो गई। उनके शवों को बाद में निकाल लिया गया। गैस रिसाव के चलते बीमार लोग ऑटो और दो पहिया गाड़ियों पर मदद के लिए दौड़े जबकि सरकारी कर्मियों ने जो भी संभव हुआ, वो प्राथमिक उपचार उन्हें देने की कोशिश की। लोग सड़क किनारे और नालों के पास बेहोश पड़े हुए थे, जिससे स्थिति की गंभीरता पता चलती है।
विशाखापट्टनम में हुई गैस लीक (Visakhapatnam gas leak tragedy ) में जो केमिकल लीक हुआ है वह स्टीरीन ( Styrene ) है जिसे एथनीलबेन्जीन भी कहा जाता है। यह एक ऑर्गेनिक कंपाउंड है। यह एक सिन्थेटिक केमिकल है जो रंगहीन लिक्विड के रूप में दिखता है। हालांकि, काफी समय से इस गैस को रखा जाए तो यह हल्के पीले रंग की दिखती है। स्टीरीन बहुत ही ज्वलनशील होती है और जब यह जलती है तो बहुत ही जहरीली गैस रिलीज करती है।
विशाखापट्टनम में हुई गैस लीक (Visakhapatnam gas leak tragedy ) हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi ) ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) की एक आपातकालीन बैठक बुलाई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी घटना को परेशान करने वाला हादसा बताया है। NDMA की ओर से कहा गया है कि यह केमिकल डिजास्टर है जिसके लिए केमिकल एक्सपर्ट्स की जरूरत पड़ेगी। और लोगों को बाहर निकालने के लिए मेडिकल हेल्प चाहिए होगी। आंध्र प्रदेश के सीएम वाई.एस जगन मोहन रेड्डी ने अस्पताल का दौरा किया है।
विशाखापट्टनम में हुई गैस लीक(Visakhapatnam gas leak tragedy ) में जो खौफनाक हालात हैं, उसे लेकर पूरे देश में चिंता की लहर है। सोशल मीडिया पर लोग #PrayForVizag हैशटैग के साथ दुआ कर रहे हैं कि 1984 जैसा मंजर ना देखने को मिले। उस दुर्घटना ने एक पूरी पीढ़ी को तबाह किया है। लोग बस यही प्रार्थना कर रहे हैं कि विशाखापट्टनम दूसरा भोपाल ना बने।