कोरोना वायरस के कहर से कांप रहे उज्जैन (Ujjain) शहर को बचाने के लिये अब जिला प्रशासन अब देवी – देवताओं की मंदिर में पूजा प्रार्थना कर रहा है । शनिवार काे उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह व एसपी मनोज सिंह चौबीस खंभा माता मंदिर पहुंचे और पूजन के बाद देवी मां काे मदिरा का भाेग लगाकर नगर पूजा की शुरुआत की। उन्होंने मां से उज्जैन को महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। खास बात यह है इस मंदिर में नवरात्रि की अष्टमी पर मदिरा चढ़ाने की परंपरा सालाें से चली आ रही है, इस साल लाॅकडाउन के कारण इस परंपरा का निर्वहन नहीं हो पाया था, इस बार वह पूजा शनिवार को संपन्न हुई।
शनिवार को उज्जैन (Ujjain) कलेक्टर आशीष सिंह, एसपी मनोज सिंह मां के दरबार पहुंचे। सैकड़ों भक्तों की मौजूदगी में ढोल-बाजों के साथ गुदरी स्थित माता मंदिर से नगर पूजा की शुरुआत हुई। कलेक्टर ने मदिरा की धार चढ़ाकर पूजा शुरू की। यह पूजा माता, भैरव और हनुमान मंदिर समेत कुल 40 मंदिरों में हुई। 26 किलोमीटर की पैदल यात्रा के पूरे होने के बाद इस पूजा में 5 किलो सिंदूर, दो डिब्बे तेल, 25 बोतल मदिरा समेत 39 प्रकार की विशेष पूजन सामग्री रखी जाती है।
उज्जैन (Ujjain) के अधिकारियों ने चौबीस खंभा माता मंदिर में प्रवेश किया तो यहां मौजूद पुजारी ने उनसे माता का पूजन अर्चन करवाया और फिर मदिरा की बाटल हाथ में दी। कलेक्टर ने बाटल से माता के मुख पर मदिरा की अटूट धार शुरू की और एसपी ने भी इस बाटल को छूआ। इसके बाद माता के लिये बने विशेष पकवान भी चढ़ाये गये। नगर पूजा का बैनर हाथ में लेकर कोटवार आगे चले तो पीछे करीब आधा दर्जन ढोल की आवाज गूंजने लगी। कोटवारों ने अपने कंधों पर भोग व शराब की बोतलों से भरी टोकरियां रखीं इसी दौरान कलेक्टर ने तांबे की हांडी जिसमें छेद किया हुआ था और मदिरा की अटूट धार बह रही थी उसी हांडी को उठाया और ढोल वालों के पीछे नंगे पैर चल दिये। मंदिर से करीब 100 मीटर दूर तक कलेक्टर मदिरा से भरी हंडी लेकर चले और उसके बाद कोटवार को आगे की पूजा के लिये थमा दी।
कलेक्टर आशीष सिंह (Collector Ashish Singh) ने कहा कि उज्जैन में गौरवशाली परंपरा है। राजा विक्रमादित्य के समय से यह परंपरा चली आ रही है। इसका मुख्य उद्देश्य केवल नगर के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के कल्याण के लिए प्रार्थना करना होता है। उसी परंपरा का पालन करते हुए मेरे द्वारा यह पूजा की गई। कोरोनावायरस का जो दौर चल रहा है, उज्जैन हो या प्रदेश या पूरा देश, उससे जल्दी मुक्ति मिले। इसी कामनाओं के साथ यह पूजा की गई है। परंपरा के अनुसार पहले मंदिर में कलेक्टर के द्वारा पूजा की जाती है। बाकी मंदिर में तहसीलदार और पटवारी द्वारा पूजा का प्रावधान है।
एसपी मनोज सिंह ने कहा कि इस सृष्टि का संचालन ईश्वर की कृपा से हो रहा है। त्रासदी या विपदा से मुक्ति के लिए नगर पूजा हमारी परंपरा रही है। नगर पूजा करके हम लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं। हमने बाबा महाकाल से, सभी देवी-देवताओं से प्रार्थना की है कि हमारे शहर को सारे जगत को इस महामारी से मुक्ति प्रदान करें। 24 खांभा माता मंदिर के पंडित ने कहा कि जब-जब शहर में विपदाएं आती हैं तो चैत्र नवरात्रि में महामाया की पूजा प्रशासन द्वारा की जाती है और आज कोरोनावायरस (Coronavirus )महामारी से बचने के लिए यह पूजा की गई है।
महाकाल वन के मुख्य प्रवेश द्वार पर विराजित माता महामाया और माता महालाया चौबीस खंभा माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। यहां पर मंदिर के भीतर 24 काले पत्थरों के खंभे हैं, इसीलिए इसे 24 खंभा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह उज्जैन नगर में प्रवेश करने का प्राचीन द्वार हुआ करता था। पहले इसके आसपास परकोटा हुआ करता था। तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध उज्जैन या प्राचीन अवंतिका के चारों द्वार पर भैरव तथा देवी विराजित हैं, जो आपदा-विपदा से नगर की रक्षा करते हैं। चौबीस खंभा माता भी उनमें से एक हैं। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। नगर की सीमाओं पर स्थित इन देवी मंदिरों में राजा विक्रमादित्य के समय से नगर की सुरक्षा के लिए पूजन और मदिरा चढ़ाए जाने की परंपरा चली आ रही है।