पूर्वी लद्दाख ( Ladakh) के गलवान घाटी(Galwan Valley) में भारतीय सैनिकों(Indian Army ) के साथ हिंसक झड़प के बाद नई दिल्ली ने जो कदम उठाया है उसके बाद अभी से ही उसके पसीने छूटने लगे हैं। चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स (Global Times ) ने लिखा है कि भारत-चीन के बीच ताजा विवाद का असर भारत स्थित चीन की कंपनियों (Chinese company ) पर पड़ने लगा है। चीन की स्मार्ट फोन कंपनी ओप्पो को बुधवार को अपना 5जी हैंडसेट की लाउंचिंग को रद्द करना पड़ा है। ऐसा लगता है कि चीनी सामानों के खिलाफ भारतीयों को गुस्सा बढ़ेगा।
ग्लोबल टाइम्स (Global Times ) ने लिखा है कि कुछ हद तक दोनों देशों की सरकारों ने स्थिति को शांत करने का प्रयास किया है और आर्थिक और व्यापारिक सहयोग बरकरार रखना चाहते हैं। लेकिन, भारत में चीन के खिलाफ बढ़ते सेंटिमेंट को लेकर चीनी व्यवसाय को लेकर संभावित खतरा जताई जा रही है।
इसने आगे लिखा है कि चीनी कंपनियों (Chinese company ) को अपनी पूंजी और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि वे स्थिति बिगड़ने के चलते संयम बरते दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा विवाद सुलझने तक निवेश और उत्पादन की योजना पर फिलहाल रोक लगाए।
ग्लोबल टाइम्स (Global Times ) ने लिखा है कि जहां तक वर्तमान स्थिति की बात है तो इस बात से कोई इनकार नहीं कर रहा है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का असर द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर नहीं पकड़ेगा क्योंकि कुछ समय तक चीन विरोध भावना भारत में अभी रहेगी।
इंडियन रेलवे के डेडिकेटेड फ्राइड कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) ने चीन के साथ अपना कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने का फैसला किया है। सिग्नल लगाने का कॉन्ट्रैक्ट बीजिंग के नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कॉम्युनिकेशन को 2016 में दिया गया था।
चाइनीज (Chinese company ) कंपनी को कानपुर-दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन पर 417 किलोमीटर की दूरी में सिग्नल लगाने का काम दिया गया था। इस ठेके की कीमत थी 471 करोड़ रुपए। कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करने की घोषणा करते हुए DFCCIL ने कहा कि कंपनी ने चार साल में महज 20 पर्सेंट का काम पूरा किया है।
इससे पहले टेलीकॉम मंत्रालय ने बीएसएनएल को चीनी कंपनियों के उपकरणों की उपयोगिता को कम करने का निर्देश दिया है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि अपने कामों में चीनी कंपनियों की उपयोगिता को कम करे। टेलीकॉम मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि 4जी सुविधा के अपग्रेडेशन में किसी भी चाइनीज कंपनियों के बनाए उपकरणों का इस्तेमाल न किया जाए। इसके अलावा पूरे टेंडर को नए सिरे से जारी किया जाए। साथ में सभी प्राइवेट सर्विस ऑपरेटरों को चाइनीच उपकरणों पर निर्भरता कम करने का निर्देश देने की बात कही गई है।