हर साल की तरह इस बार भी भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा( Jagannath Puri Rath Yatra ) निकाली जा रही है, लेकिन कड़ी शर्तो के साथ।भक्तों की अनुपस्थिति में पहली बार भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा मंगलवार को शुरू हुई। इस दौरान पुजारियों ने मंगलवार भोर में मंगल आरती का आयोजन किया। शंखनाद की ध्वनि, झांझ और ढोलक की थाप के साथ मंदिरों से देवताओं को रथ पर बिठाकर यात्रा की शुरुआत की गई। तीनों देवताओं को तीन पारंपरिक तौर पर बने लकड़ी के रथ- नंदीघोसा (जगन्नाथ के लिए), तलाध्वजा (बलभद्र के लिए) और देवदलन (सुभद्रा के लिए) पर बिठा कर ले जाया गया।जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा के दौरान पुरी के राजा गजपति महाराज ने सोने के झाडू से सफाई करके ‘छेरा-पहंरा’ की रस्म अदा की। सुप्रीम कोर्ट ने कल कुछ प्रतिबंधों के साथ कोरोना वायरस महामारी के बीच वार्षिक रथ यात्रा को आयोजित करने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) के आदेश के मुताबिक 500 से अधिक लोगों को रथ खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। रथ यात्रा, के दौरान पुरी (Puri Rath Yatra -2020) शहर में रात आठ बजे से कफ्र्यू लागू रहेगा। इस दौरान लोग अपने घरों में ही रहंगे।अधिकारियों ने बताया कि नौ दिवसीय उत्सव के लिए विभिन्न स्थानों पर पुलिस बल के 50 से कई अधिक दस्ते (एक दस्ते में 30 कर्मी हैं) तैनात किए गए हैं और सीसीटीवी लगाए गए हैं। पुरी के सभी प्रवेश बिंदू भी सील कर दिए गए हैं।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ( Naveen Patnaik ) ने भुवनेश्वर के अपने दफ्तर से जगन्नाथ रथ यात्रा का लाइव प्रसारण देखा। इसके साथ ही उन्होंने रथ यात्रा विशेष अंक के साथ राज्य सरकार की उत्कल प्रसंगा मैगज़ीन का भी विमोचन किया।
दुनिया भर में प्रसिद्ध है यह जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा ( Jagannath Puri Rath Yatra ) भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ जगन्नाथ पुरी मंदिर में रथयात्रा आयोजित होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा निकाली जाती है। यह रथयात्रा न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। जगन्नाथ पुरी का मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में आता है।