आगरा में चाइनीज वायरस ( ‘Chinese virus’ ) कोरोना के संक्रमण के चलते बंद चल रहे विश्वदाय स्मारक ( world heritage monument) ताजमहल (Taj Mahal )और किला सहित अन्य स्मारक अभी नहीं खुलेंगे ।इस पाबंदी से लगभग चार लाख लोगों का रोजगार ठप है । आगरा के 35 हजार शिल्पकार दाने-दाने के लिए मोहताज हो गये हैं। ताजमहल के कंटेनमेंट जोन और अन्य स्मारकों के बफर जोन में होने के चलते जिला प्रशासन द्वारा स्मारकों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके चलते पर्यटन उद्यमियों को बड़ा झटका लगा है। स्मारक कब तक बंद रहेंगे या कब से खुलेंगे, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। डीएम प्रभु एन सिंह ने आदेश जारी किए हैं कि ताजमहल,फ़तेहपुर सीकरी , आगरा किला समेत सभी स्मारक आगरा में बंद रहेंगे। रविवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों संग उन्होंने बैठक की। बैठक के बाद डीएम ने आदेश जारी करते हुए कहा कि कंटेनमेंट जोन ताजगंज क्षेत्र में होने के कारण ताजमहल और बफर जोन में अन्य स्मारक हैं। ऐसे में फिलहाल अग्रिम आदेशों तक सभी स्मारक बंद रहेंगे। कोई पर्यटन गतिविधियों नहीं होगी।
आगरा में कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक 1300 संक्रमित मिल चुके हैं। 93 लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है। आगरा में 25 हजार से अधिक मरीजों की कोरोना जांच हो चुकी है। शहर के अलग-अलग अस्पतालों में 145 संक्रमितों का उपचार चल रहा है।
आदेश के बाद ताजनगरी के 4000 गाइडों के चेहरों पर एक बार फिर मायूसी छा गई है। उन्हें उम्मीद थी छह जुलाई को ताजमहल खुलेगा और धीरे धीरे सब पहले जैसा हो जाएगा। लेकिन अब एक बार फिर से ताजमहल बंद होने के कारण गाइड, फोटोग्राफर और अन्य लोग मायूस हैं।ताजमहल (Taj Mahal )को बंद हुए 110दिन से ज्यादा हो चुके हैं। यह पहला मौका है जब ताजमहल, सिकंदरा, फ़तेहपुर सीकरी सहित सभी स्मारक इतने लंबे समय तक बंद रहे हैं। इस पाबंदी से लगभग चार लाख लोगों का रोजगार ठप है।
ताजमहल (Taj Mahal )बंद होने से पर्यटन से जुड़े लोगों और सरकार को नुकसान हुआ है। टिकट से 148 करोड़ रुपये की सालाना कमाई है। 100 दिन में 40 करोड़ का नुकसान हुआ। 2600 करोड़ की पर्यटकों से सालाना कमाई है। अगर स्मारक खुले होते तो 15 लाख पर्यटक 100 दिनों में आगरा आते। बंद रहने से 350 करोड़ रुपये का सीधे नुकसान हुआ है। पर्यटन उद्योग से जुड़े ज्यादातर लोग गाइड, फोटोग्राफर, हस्तशिल्पी, ट्रेवल ट्रेड के ड्राइवर, एस्कॉर्ट, होटल कर्मचारी दिहाड़ी पर निर्भर थे, जिनकी बचत खत्म होने के बाद वो पाई-पाई को मोहताज हैं।
शहर में 350 हैंडीक्राफ्ट एंपोरियम, शोरूम व दुकानें 17 मार्च से बंद पड़ी हैं। देसी और विदेशी सैलानियों में ही हस्तशिल्प को लेकर क्रेज था और लोकल मार्केट इन्हीं की खरीद पर निर्भर रहता था। हस्तशिल्प से 35 हजार से ज्यादा कारीगर जुड़े हुए हैं, जिनकी संख्या पहले 80 हजार तक थी लेकिन हस्तशिल्प पर जीएसटी के बाद इसकी मांग में कमी आई है और कई शिल्पी काम ही छोड़ गए। लॉकडाउन में मार्बल पच्चीकारी के 35 हजार शिल्पकार दाने-दाने के लिए मोहताज हो गये हैं।