सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने वकील प्रशांत भूषण ( Prashant Bhushan )को बुधवार को नोटिस जारी किया। उनसे पूछा गया कि क्यों न आप पर अवमानना का केस चलाया जाए। कोर्ट ने कहा कि उनके बयान पहली नजर में ‘न्यायिक प्रक्रिया का अपमान’ लगते हैं। दरअसल, प्रशांत भूषण ने बीते दिनों 2 ट्वीट किए थे। इनमें से एक में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 4 पूर्व चीफ जस्टिस और दूसरे में मौजूदा चीफ जस्टिस एसए बोबडे पर सवाल उठाए थे। केस की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
शीर्ष अदालत ने भूषण( Prashant Bhushan ) के हालिया ट्वीट का जिक्र करते हुये कहा कि ये बयान पहली नजर में जनता की नजरों में उच्चतम न्यायालय की संस्था और विशेषकर प्रधान न्यायाधीश के पद की गरिमा और सत्ता को कमतर करने वाले हैं।’’
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को भी इसमें सहयोग के लिये नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने ट्विटर ( Twitter ) से भी पूछा कि अवमानना की कार्यवाही शुरू होने के बाद भी ट्वीट डिलीट क्यों नहीं किए गए? इस पर ट्विटर की ओर से पेश हुए वकील साजन पोवैया ने कहा, ‘‘कोर्ट आदेश जारी करे तो ट्वीट डिलीट किया जा सकता है। वह (कंपनी) खुद से कोई ट्वीट डिलीट नहीं कर सकती।’’ पोवैया ने यह भी कहा कि इस मामले में ट्विटर इंडिया को पक्षकार बनाना गलत है। असली पक्षकार कैलिफोर्निया की ट्विटर इंक (Twitter Inc ) को बनाना चाहिए। कोर्ट ने इसे स्वीकार किया और ट्विटर को सही एप्लीकेशन देने की इजाजत दी।शीर्ष अदालत ने अवमानना की कार्यवाही के इस मामले में ट्विटर इंक (Twitter Inc ) को भी पक्षकार बनाने और उसे इसमें जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
प्रशांत भूषण ( Prashant Bhushan ) को नवंबर 2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस दिया था। तब उन्होंने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों पर टिप्पणी की थी। यह मामला तब से पेंडिंग है। इस पर पिछली सुनवाई मई 2012 में हुई थी। कोर्ट की लिस्टिंग के हिसाब से इस पर अगली सुनवाई शुक्रवार को होनी है।