ब्रजभूमि पर बुधवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी(Sri Krishna Janmashtami,) का पर्व पारंपरिक रूप से मनाया गया। कोरोना के कारण भले ही भक्त इस बार मंदिरों में जाकर अपने आराध्य के दर्शन न कर सके हों, लेकिन उनमें उल्लास और उमंग की कोई कमी नहीं रही। हजारों मंदिरों से लेकर घर द्वार तक भव्य रूप से सजाए गए। श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर अद्भुत छटा बिखरी।
कोरोना के कारण मथुरा ( Mathura) के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक रही। बुधवार सुबह जन्मोत्सव के मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत राधा-श्रीकृष्ण की विशेष पूजा के साथ हुई। सेवायतों ने राधाकृष्ण की दिव्य आरती की। इस दौरान भागवत भवन में सीमित लोग मौजूद रहे।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस (Sri Krishna Janmashtami,)के अवसर भव्य दीपदान का आयोजन किया गया। भगवान के जन्म की बेला से पूर्व श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर सहस्त्रों दीपों से जगमगा उठा। सहस्त्रों दीप के प्रकाश से जगमगाती भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के अलौकिक और विहंगम दर्शन करा रही थी।
द्वारिकाधीश मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव (Sri Krishna Janmashtami,)बुधवार को बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। जन्मोत्सव प्रात: छह बजे से ही प्रारंभ हो गया। मंदिर में नौबत बजाई गई, प्रात: 6.15 बजे तक मंगला के दर्शन खोले किए। इसके बाद दूध, दही, शहद, बूरा और घी से ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक किया गया। ठाकुर जी का रत्नों, स्वर्ण और चांदी के आभूषणों से भव्य शृंगार हुआ। तदोपरांत ठाकुर जी के राजभोग के दर्शन खुले।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर द्वारिकाधीश मंदिर को रजनीगंधा, चंपा, चमेली, गुलाब, मोगरा के साथ जरबेरा, आर्किट, एंथोलियान आदि विदेशी फूलों से सजाया गया है। इन्हीं देशी विदेशी फूलों के मध्य विराजकर राजाधिराज भक्तों को दर्शन देंगे।श्रीकृष्ण जन्मस्थान समेत सभी मंदिरों को भव्य रूप से सजावट की गई। शाम होते ही मंदिर परिसर सतरंगी रोशनी से नहा गए।